GST council meeting update: मुखौटा कंपनियां बनाकर उनके जरिये इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) धोखाधड़ी पर लगाम कसने के लिये माल एवं सेवाकर (GST) परिषद ने कहा है कि नई रजिस्टर्ड इकाइयों को आईटीसी जारी करने से पहले उनके प्रतिष्ठानों और उनके वित्तीय लेनदेन की जानकारी ली जाएगी. पीटीआई की खबर के मुताबिक, इसके साथ ही बैंकों से भी सूचना रिटर्न प्राप्त करने पर जोर रहेगा. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) की अध्यक्षता में शनिवार को यहां हुई जीएसटी परिषद की 39वीं बैठक में ई-वॉलेट योजना को अंतिम रूप देने की तारीख को 31 मार्च 2021 तक बढ़ाने जैसे कारोबार में सुविधा के लिए कई फैसले किए गए.

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जीएसटी परिषद (GST council) की बैठक के बाद जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि जीएसटी भुगतान में देरी होने पर शुद्ध नकद कर देनदारी के आधार पर ब्याज लगाया जाएगा. इसकी गणना 1 जुलाई 2017 से की जाएगी. इस संबंध में कानून में पिछली तिथि से जरूरी संशोधन किया जाएगा. कारोबारियों की सुविधा के लिये 14 मार्च 2020 तक निरस्त जीएसटी रजिस्ट्रेशन को फिर से बहाल करने के लिए 30 जून 2020 तक आवेदन दिया जा सकता है. कारोबार शुरू करने वालों को यह एकबारगी सुविधा दी गई है.

पांच करोड़ रुपये से कम सकल कारोबार करने वाले सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों को 2018-19 वित्त वर्ष के लिये फार्म जीएसटीआर- 9सी में मिलान विवरण दाखिल करने के मामले में राहत दी जाएगी. वित्त वर्ष 2018-19 के लिये सालाना रिटर्न और मिलान विवरण दर्ज करने की तिथि 30 जून 2020 तक बढ़ाई जाएगी. परिषद ने एक नई सुविधा ‘‘अपने आपूर्तिकर्ता को जानो’’ शुरू करने का भी फैसला किया है. इसके तहत पंजीकृत कारोबारियों को अपने आपूर्तिकर्ता कारोबारी के बारे में कुछ जरूरी बुनियादी जानकारी रखने के लिये कहा जाएगा.

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दादर एवं नागर हवेली और दमण और दीव के पंजीकृत व्यक्तियों के लिये विशेष प्रक्रिया को मंजूरी देते हुए बदलाव को 31 मई 2020 तक पूरा किया जाएगा. संघ शासित प्रदेश लद्दाख में कारोबार करने वाले करदाताओं के लिये जुलाई 2019 से लेकर जनवरी 2020 का फार्म जीएसटीआर- 3बी भरने के लिये 24मार्च 2020 तक का समय दिया गया है. फार्म जीएसटीआर-1 और फार्म जीएसटीआर-7 के मामले में भी इसी तरह का विस्तार दिया गया है. इसके साथ ही जीएसटी परिषद ने केन्द्रीय जीएसटी के नियमों में भी कुछ संशोधनों को मंजूरी दी है. शून्य दर पर की जाने वाली वाली आपूर्ति के मामले में निर्यात आपूर्ति के मूल्य पर अधिकतम सीमा लागू की जाएगी.