Green Hydrogen: सरकार ने ग्रीन हाइड्रोजन मानकों को किया जारी, उत्पादन के लिए एमिशन की सीमा तय की
Green Hydrogen Standards: मंत्रालय ने जारी किए गए मानकों के तहत उत्सर्जन की सीमा भी तय की है, जिन्हें पूरा करने पर ही उत्पादित हाइड्रोजन को ‘ग्रीन’ के रूप में क्लासिफाई किया जाएगा.
Green Hydrogen standards: सरकार ने हरित हाइड्रोजन (Green Hydrogen) मानकों को जारी किया. साथ ही इसकी परिभाषा में इलेक्ट्रोलिसिस और बायोमास-आधारित तरीकों को भी शामिल किया गया. न्यू एंड और रिन्युएल एनर्जी मंत्रालय ने एक बयान में कहा, नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन (National Green Hydrogen Mission) की प्रगति के लिए एक महत्वपूर्ण कदम के तहत सरकार ने भारत के लिए ग्रीन हाइड्रोजन मानकों (Green Hydrogen standards) को अधिसूचित किया है.
मंत्रालय ने जारी किए गए मानकों के तहत उत्सर्जन की सीमा भी तय की है, जिन्हें पूरा करने पर ही उत्पादित हाइड्रोजन को ‘ग्रीन’ के रूप में क्लासिफाई किया जाएगा. अधिसूचना के मुताबिक परिभाषा के दायरे में इलेक्ट्रोलिसिस (Electrolysis) आधारित और बायोमास (Biomass) आधारित हाइड्रोजन उत्पादन विधियां शामिल हैं.
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नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने कई हितधारकों के साथ चर्चा के बाद यह तय किया कि ग्रीन हाइड्रोजन में उत्सर्जन दो किग्रा CO2 इक्विवेलेंट प्रति किग्रा H2 से अधिक नहीं होगा.
अधिसूचना यह भी निर्दिष्ट करती है कि ऊर्जा मंत्रालय के तहत ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफिशिएंसी (BEE) ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन परियोजनाओं की निगरानी, सत्यापन और प्रमाणन के लिए एजेंसियों की मान्यता के लिए नोडल प्राधिकरण होगा.
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