पेट्रोलियम मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि घरेलू उत्पादन वाले कच्चे तेल पर अप्रत्याशित लाभ कर (Windfall Tax) लगाने का फैसला तात्कालिक परिस्थितियों में लिया गया था और इसे बाजार की प्रतिक्रिया के अनुरूप बदलाव के लिए डिजाइन किया गया है. पेट्रोलियम मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि कच्चे तेल की कीमतों में इस साल भारी उतार-चढ़ाव की स्थिति देखी गई है. इसकी वजह से आम उपभोक्ताओं को पेट्रोल पंप पर ईंधन के अधिक दाम देने पड़ रहे हैं. मंत्रालय ने कहा, ‘‘दुनियाभर के देशों ने उपभोक्ताओं पर पड़ रहे इस असर को कम करने के लिए कदम उठाए हैं. अप्रत्याशित लाभ कर लगाने का फैसला ऐसा ही एक कदम है जिससे हालात से निपटने में मदद मिलती है.’’

1 जुलाई को लगाया गया था विंडफॉल टैक्स

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सरकार ने एक जुलाई को घरेलू स्तर पर निकाले गए कच्चे तेल पर अप्रत्याशित लाभ कर लगाने का फैसला किया था. जहां पेट्रोल, डीजल एवं विमान ईंधन के निर्यात पर शुल्क लगाया गया, वहीं स्थानीय स्तर पर उत्पादित कच्चे तेल पर विशेष अतिरिक्त सीमा शुल्क (स्पेशनल एडिशनल एक्साइज ड्यूटी) लगाया गया. पेट्रोलियम मंत्रालय ने कहा, ‘‘इस कर को लगाने की स्थिति का आकलन, संदर्भ अवधि, उपकर/ कर/ शुल्क की राशि, कर देनदारी की स्थिति और समीक्षा की व्यवस्था होना इस तरह के कर का अटूट हिस्सा है.’’

कुछ ऑयल ब्लॉक को इससे छूट की मांग का था दावा

मंत्रालय का यह बयान उन मीडिया रिपोर्ट के बाद आया है जिनके मुताबिक मंत्रालय ने ही 12 अगस्त को लिखे एक पत्र में अप्रत्याशित लाभ कर की जद से उन तेल क्षेत्रों या ब्लॉक को छूट देने की मांग की है जिन्हें उत्पादन साझा अनुबंध (पीएससी) और राजस्व साझा अनुबंध (आरएससी) के तहत कंपनियों को सौंपा गया है. पेट्रोलियम मंत्रालय ने बयान में कहा, ‘‘यह स्पष्ट किया जाता है कि एक जुलाई, 2022 से एसएईडी शुल्क लगाने के साथ ही पाक्षिक आधार पर इसकी समीक्षा करने की व्यवस्था की भी घोषणा की गई थी. यह शुल्क लगाए जाने के बाद से अबतक ऐसी छह पाक्षिक समीक्षाएं की जा चुकी हैं.’

टैक्स रेट को लेकर मंत्रालय के बीच आपसी चर्चा लाजिमी है

इस बीच, सरकार से इस शुल्क लागू करने के प्रावधानों, दरों और देनदारी के निर्धारण के संदर्भ में स्पष्टीकरण जारी करने के अनुरोध भी किए गए हैं. मंत्रालय ने कहा, ‘‘ऐसी स्थिति में विभिन्न मंत्रालयों के बीच चर्चा होना लाजिमी है और इस प्रक्रिया का इस्तेमाल समीक्षाओं में किया जाता है.’’ हालांकि, पेट्रोलियम मंत्रालय ने यह जानकारी नहीं दी कि उसने वित्त मंत्रालय को 12 अगस्त को लिखे अपने पत्र में किस तरह के मुद्दे उठाए हैं.