Govt borrowings for 2023-24: बजट 2023 की तैयारी आखिरी चरण में है. अगले हफ्ते 1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का आखिरी पूर्णकालिक बजट पेश करेंगी. रॉयटर्स इकोनॉमिस्ट पोल के मुताबिक, वित्त वर्ष 2023-24 के लिए सरकार 16 लाख करोड़ का भारी-भरकम कर्ज उठा सकती है. इसकी घोषणा इस बजट में की जाएगी. सरकार का फोकस कैपिटल एक्सपेंडिचर और फिस्कल डिसिप्लिन पर होगा. इस रिपोर्ट के मुताबिक, बीते चार सालों में सरकारी कर्ज दोगुना हो गया है. कोरोना आने के बाद सरकार ने इकोनॉमी को सपोर्ट करने के लिए बड़े पैमाने पर कैपिटल एक्सपेंडिचर किया. मंदी के बढ़ते खतरे के कारण प्राइवेट इन्वेस्टमेंट घट गया है. इसके अलावा गरीबों की मदद के लिए भी लाखों करोड़ खर्च किए गए हैं. इका बोझ भी सरकारी खजाने पर बढ़ा है.

चाहकर भी कर्ज कम नहीं कर सकती है सरकार

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टैक्स रेवेन्यू में गिरावट और ग्रोथ की रफ्तार घटने के कारण सरकार नीयर टर्म में कर्ज घटाने का फैसला चाहकर भी नहीं कर सकती है. अगले फिस्कल सरकार 16 लाख करोड़ का कर्ज उठा सकती है. 2022-23 में यह 14.2 लाख करोड़ रहने का अनुमान है. 43 आर्थिक जानकारों का कर्ज को लेकर अनुमान 14.8 करोड़ से 17.2 करोड़ के बीच है.

2014 में 5.92 लाख करोड़ थी लेनदारी

साल 2014 में जब मोदी सरकार सत्ता में आई थी, तब सरकार की लेनदारी 5.92 लाख करोड़ थी. एक्सपर्ट के मुताबिक, बीते पांच सालों में सरकार ने बड़े पैमाने पर कर्ज लिया है. कोरोना के कारण इसमें तेजी आई है. रिकॉर्ड लेवल पर कर्ज लेने के कारण अगले कई सालों तक सरकार का रीपेमेंट भी बहुत ज्यादा रहेगा.

अगले फिस्कल 4.4 लाख करोड़ का केवल रीपेमेंट

ANZ के इकोनॉमिस्ट धीरज निम ने कहा कि  2023-24 के लिए सरकार का रीपेमेंट 4.4 लाख करोड़ रह सकता है. रॉयटर्स के एक अन्य सर्वे के मुताबिक, वित्त वर्ष 2023-24 के लिए बजट डेफिसिट 6 फीसदी रह सकता है. 1970 से लेकर यह औसतन 4-5 फीसदी तक रहा है. अगले फिस्कल के लिए बजट डेफिसिट का टारगेट अभी भी बहुत ज्यादा है. सरकार का लक्ष्य 2025-26 तक 4.5 फीसदी के फिस्कल डेफिसिट तक पहुंचने का अनुमान है. कोरोना से पहले फिस्कल डेफिसिट के मुकाबले यह दो गुना से ज्यादा है.

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