Ease of doing business: वित्त मंत्रालय (Finance Ministry) ने 'ईज ऑफ डूइंग' की स्थिति को और बेहतर करने के लिये भारतीय एंटिटीज के विदेशों में निवेश को लेकर कंसोलिडेटेड नियमों को अधिसूचित किया है. फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट (Overseas Investment) नियम, 2022 विदेशी निवेश और भारत के बाहर अचल संपत्ति के अधिग्रहण और ट्रांसफर से संबंधित मौजूदा नियमों को समाहित करेगा. वित्त मंत्रालय ने बयान में कहा, तेजी से एकीकृत वैश्विक बाजार में भारतीय कंपनियों को वैश्विक मूल्य श्रृंखला का हिस्सा बनने की आवश्यकता है. विदेशी निवेश के लिये संशोधित नियामकीय ढांचा मौजूदा रूपरेखा को सरल और सुगम बनाता है. इसे वर्तमान व्यापार और आर्थिक जरूरतों के अनुरूप तैयार किया गया है.

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बयान के अनुसार, ओवरसीज डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट और ओवरसीज पोर्टफोलियो इन्वेस्टमेंट पर स्पष्टता लाई गई है. विभिन्न विदेशी निवेश संबंधी लेनदेन जो पहले अनुमोदन मार्ग के तहत थे, अब ऑटोमेटिक अप्रूवल रूट के तहत हैं. इससे कारोबार सुगमता बढ़ी है.

RBI ने नियमों को आसान बनाने को लेकर उठाया था कदम

पिछले साल, केंद्र सरकार ने रिजर्व बैंक (RBI) के परामर्श से इन नियमों को आसान बनाने को लेकर कदम उठाया था. फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट (ओवरसीज इन्वेस्टमेंट) नियमों का मसौदा और फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट (ओवरसीज इन्वेस्टमेंट) विनियमन पर संबंधित पक्षों की राय जानने के लिये सार्वजनिक किया गया था.

नए नियमों में भारत में निवासी व्यक्ति (पर्सन रेजिडेन्ट) के इंटरनेशनल फाइनेंशियल सर्विसेज सेंटर (IFSC) में विदेशी निवेश को शामिल किया गया है. वित्त मंत्रालय ने अधिसूचना में कहा कि भारत में निवासी व्यक्ति सीमा के भीतर IFSC में निवेश कर सकता है. फेमा की धारा 2 (5) (आई) के तहत भारत में रह रहे निवासी व्यक्ति से आशय उस व्यक्ति से है जो देश में पिछले वित्त वर्ष के दौरान 182 दिन से अधिक समय यहां रहा है.