भारत की GDP ग्रोथ में गिरावट, आर्थिक सुधार को लगा झटका, सरकार ने जताई निराशा
चालू वित्त वर्ष के दौरान सितंबर को समाप्त दूसरी तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर घटकर 7.1 प्रतिशत रह गई है. इससे पिछली तिमाही के दौरान ये दर 8.2 थी.
कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार के दौरान सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) आंकड़ों में कमी को लेकर विवाद अभी थमा भी नहीं है, इस बीच देश की आर्थिक स्थिति में सुधार की उम्मीद को एक और जोरदार झटका लगा है. चालू वित्त वर्ष के दौरान सितंबर को समाप्त दूसरी तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर घटकर 7.1 प्रतिशत रह गई है. इससे पिछली तिमाही के दौरान ये दर 8.2 थी.
सरकार ने खुद इन आंकड़ों को निराशाजनक बताया है. वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के विभाग में सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने ट्वीट किया, '2018-19 की दूसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 7.1% है, जो निराशाजनक लगती है. मैन्युफैक्चरिंग ग्रोथ 7.4 प्रतिशत रही है और कृषि विकास 3.8 प्रतिशत की दर से हुआ है. विनिर्माण 6.8 प्रतिशत से बढ़ा है, जबकि खनन में 2.4 प्रतिशत की कमी आई है.' हालांकि उन्होंने कहा कि ये आंकड़े मानसून के महीनों की मंदी को दर्शाते हैं और पहली छमाही के आंकड़ा 7.4 प्रतिशत है, जो काफी मजबूत है.
रुपये में गिरावट का असर
पिछली कुछ तिमाहियों को दौरान कमजोर प्रदर्शन के बाद जब चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में बेहतर नतीजे आए, तो सभी को उम्मीद हुई कि अर्थ व्यवस्था में सुस्ती अब बीते दिनों की बात हो गई है, और आने वाला वक्त अच्छा होगा. लेकिन ताजा आंकड़ों ने इन उम्मीदों पर पानी फेर दिया है. हालांकि बीते साल की समान तिमाही के दौरान विकास दर 6.3 प्रतिशत थी.
जानकारों के मुताबिक डॉलर के मुकाबले रुपये में आई गिरावट के चलते अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक असर पड़ा है. विकास दर में इस गिरावट के बावजूद भारत अभी भी दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ रही अर्थव्यवस्था बना हुआ है.