Foreign Exchange Reserves: दो साल के निचले स्तर पर पहुंचा विदेशी मुद्रा भंडार, फिर से आई 3.84 बिलियन डॉलर की गिरावट
Foreign Exchange Reserves: विदेशी मुद्रा भंडार में फिर से 3.84 बिलियन डॉलर की गिरावट आई और यह दो सालों के निचले स्तर पर पहुंच गया. रुपए को सपोर्ट करने के लिए रिजर्व बैंक इस साल अब तक 100 बिलियन डॉलर का रिजर्व बेच चुका है.
Foreign Exchange Reserves: देश के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट जारी है. 21 अक्टूबर को समाप्त हफ्ते में यह 3.847 बिलियन डॉलर घटकर 524.52 बिलियन डॉलर रह गया. यह दो सालों का निचला स्तर है. यह जुलाई 2020 के बाद सबसे न्यूनतम स्तर है. इससे पिछले हफ्ते में विदेशी मुद्रा भंडार 4.50 बिलियन डॉलर घटकर 528.37 बिलियन डॉलर रह गया था. पिछले कई महीनों से विदेशी मुद्रा भंडार में कमी होती देखी जा रही है. एक साल पहले अक्टूबर 2021 में देश का विदेश मुद्रा भंडार 645 बिलियन डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया था.
फॉरन करेंसी असेट्स में 3.59 बिलियन डॉलर की गिरावट
देश के मुद्रा भंडार में गिरावट आने का मुख्य कारण यह है कि रुपए की गिरावट को थामने के लिए केन्द्रीय बैंक मुद्रा भंडार से मदद ले रहा है. रिजर्व बैंक द्वारा शुक्रवार को जारी साप्ताहिक आंकड़ों के अनुसार, 21 अक्टूबर को समाप्त हफ्ते में मुद्रा भंडार का महत्वपूर्ण घटक मानी जाने वाली, विदेशीमुद्रा आस्तियां (FCA) 3.593 बिलियन डॉलर घटकर 465.075 बिलियन डॉलर रह गयीं.
गोल्ड रिजर्व में 24.7 करोड़ डॉलर की गिरावट
आंकड़ों के अनुसार देश का स्वर्ण भंडार मूल्य के संदर्भ में 24.7 करोड़ डॉलर घटकर 37,206 बिलियन डॉलर रह गया. केंद्रीय बैंक ने कहा कि विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) 70 लाख डॉलर बढ़कर 17.44 बिलियन डॉलर हो गया है.
100 बिलियन डॉलर का रिजर्व बेच चुका RBI
इधर रुपए की वैल्यु लगातार घट रही है. डॉलर के मुकाबले रुपया 83 के स्तर को भी पार कर गया है. रुपए को संभालने के लिए रिजर्व बैंक इस साल अब तक 100 बिलियन डॉलर का रिजर्व बेच चुका है. रुपए में इस साल अब तक 12 फीसदी की गिरावट आ चुकी है.
आज फिर रुपए में आई 14 पैसे की गिरावट
आज हफ्ते के आखिरी दिन यह 14 पैसे की गिरावट के साथ 82.47 प्रति डॉलर पर बंद हुआ. पिछले कारोबारी सत्र में रुपया 48 पैसे की उछाल के साथ 82.33 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ था. शेयरखान बाइ बीएनपी परिबा में रिसर्च ऐनालिस्ट अनुज चौधरी ने कहा, ‘‘भारतीय रुपया एक सीमित दायरे में रहा. मजबूत डॉलर सूचकांक ने रुपए पर दबाव डाला लेकिन सकारात्मक घरेलू बाजारों और कच्चे तेल की कीमतों में नरमी से रुपए को थोड़ा समर्थन मिला. विदेशी संस्थागत निवेशकों ने भी रुपए को निचले स्तर पर संभाला.’’
(भाषा इनपुट के साथ)