मौजूदा समय में अमेरिका से लेकर यूरोप तक आर्थिक ग्रोथ को लेकर चिंताएं हैं. US FED ने अपने ताजा मिनट्स में कहा कि इस साल अमेरिकी इकोनॉमी में मंदी आएगी. इसका भूचाल लंबे समय से चल ही रहा था, लेकिन बैंकिंग संकट ने आग को हवा दे दी. अच्छी बात यह है कि इससे भारतीय इकोनॉमी अछूता है. क्योंकि भारतीय इकोनॉमिक ग्रोथ को लेकर पॉजिटिव अनुमान हैं. लेकिन जियोपॉलिटिकल टेंशन से इकोनॉमिक ग्रोथ नजर लग सकती है. इसी बात की चिंता वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को भी है. 

भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर पॉजिटिव अनुमान

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केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि भारत इस साल देश की अर्थव्यवस्था के लिए अनुमानित वृद्धि दर 6% से अधिक की  है. इसके बावजूद वैश्विक आर्थिक भू-राजनीतिक माहौल को लेकर चिंतित है.

बढ़ती ब्याज दरें और महंगाई ने बढ़ाई टेंशन 

उन्होंने बुधवार को यहां एक बैठक के दौरान वैश्विक नेताओं की मौजूदगी में कहा कि मौजूदा प्रतिकूल परिस्थितियों और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला पर दबाव ने वैश्विक अर्थव्यवस्था पर जबर्दस्त प्रभाव डाला है. ग्लोबल इकोनॉमी पहले ही ऊंची ब्याज दरों, महंगाई के दबाव से प्रभावित है. वित्त मंत्री ने कहा कि कुछ आधुनिक अर्थव्यवस्थाओं में बैंकिंग क्षेत्र में हालिया संकट ने वैश्विक आर्थिक सुधार के लिए चुनौतियों को और बढ़ा दिया है.

ग्लोबल सप्लाई चेन की दिक्कतों से बना दबाव

उन्होंने कहा कि ग्लोबल सप्लाई चेन की दिक्कतों की वजह से फूड, फ्यूल और फर्टिलाइजर सेक्टर पर दबाव बना है. इससे खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा संकट बढ़ा है. इन कारणों से विशेषरूप से दुनिया में गरीब और सीमान्त वर्ग बुरी तरह प्रभावित हुआ है. वित्त मंत्री ने कहा कि आज समय की जरूरत लोगों की अगुवाई में सहमति आधारित और सामूहिक पहल की है, जिससे वैश्विक वित्तीय चुनौतियों से निपटा जा सके.

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