MSP: एमएसपी पर कमिटी की बैठक में हुआ बड़ा फैसला, इन मुद्दों पर चर्चा के लिए बनाए 4 सब-ग्रुप
MSP: बता दें कि पिछले साल नवंबर में 3 कृषि कानूनों को रद्द करने की घोषणा करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों के एमएसपी के मुद्दे पर गौर करने के लिए एक समिति गठित करने का वादा किया था.
MSP: मिनिमम सपोर्ट प्राइस (MSP) पर बनी समिति ने 22 अगस्त 2022 को अपनी पहली बैठक में एमएसपी को अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने सहित अन्य मुद्दों पर गौर करने के लिए चार सब-ग्रुप्स का गठन किया है. इस बैठक में संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) शामिल नहीं हुआ. पूर्व कृषि सचिव संजय अग्रवाल की अध्यक्षता वाली समिति ने जीरो बजट आधारित खेती को बढ़ावा देने, देश की बदलती जरूरतों को ध्यान में रखते हुए फसल पद्धति में ‘बदलाव’ लाने और एमएसपी को और अधिक ‘प्रभावी एवं पारदर्शी’ बनाने के तरीकों पर चर्चा की. समिति में अध्यक्ष सहित कुल 26 सदस्य हैं, जबकि एसकेएम के प्रतिनिधियों के लिए तीन स्थान रखे गए हैं.
चार सब-ग्रुप बनाए गए
समिति के सदस्य बिनोद आनंद ने पीटीआई-भाषा को बताया, एक दिन के विचार-विमर्श के बाद, समिति ने तीन अनिवार्य विषयों पर चार उप-समूह या समितियां बनाने का फैसला किया. किसान समूह CNRI में महासचिव का प्रभार संभाल रहे आनंद ने कहा कि पहला समूह हिमालयी राज्यों के साथ-साथ फसल पद्धति और फसल विविधीकरण का अध्ययन करेगा और उन राज्यों में एमएसपी समर्थन कैसे सुनिश्चित किया जाएगा इस पर गौर करेगा.
माइक्रो एरिगेशन पर बना दूसरा समूह- आईआईएम-अहमदाबाद के सुखपाल सिंह की अध्यक्षता में - माइक्रो सिंचाई को किसान केंद्रित बनाने के संबंध में अध्ययन करेगा. उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में सूक्ष्म सिंचाई सरकारी सब्सिडी से संचालित होती है और समूह इस बात की जांच करेगा कि इसके लिए किसानों की मांग कैसे पैदा की जाए.
तीसरा समूह - राष्ट्रीय कृषि विस्तार प्रबंधन संस्थान (मैनेज) के एक प्रतिनिधि के नेतृत्व में - जैविक और प्राकृतिक खेती के तरीकों सहित 'जीरो बजट आधारित खेती' के संबंध में अध्ययन करेगा और किसानों में इसके लिए सहमति बनाएगा.
उन्होंने कहा कि चौथा समूह - भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के नेतृत्व में - हैदराबाद स्थित सेंट्रल रिसर्च इंस्टिट्यूट फॉर ड्राइलैंड एग्रीकल्चर (CRIDA) और नागपुर स्थित नेशनल ब्यूरो ऑफ़ सॉयल सर्वे एंड लैंड यूज़ प्लानिंग (NBSSLUP) और एक और संस्थान के साथ देशभर में फसल विविधीकरण और फसल पद्धति का अध्ययन करेगा और एक पृष्ठभूमि रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा.
सितंबर के अंत में होगी समिति की अंतिम बैठक
आनंद ने कहा, चारों समूह अलग-अलग बैठक करेंगे और समिति की अंतिम बैठक सितंबर के अंत में होगी. उन्होंने कहा कि दिन भर चली बैठक में एसकेएम के प्रतिनिधि मौजूद नहीं थे. नीति आयोग के सदस्य रमेश भी अन्य व्यस्तताओं के कारण मौजूद नहीं थे.
3 कृषि कानून रद्द
SKM ने तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध की अगुवाई की और सरकार को उन्हें निरस्त करने के लिए मजबूर किया जिसके बाद 18 जुलाई को इस समिति की स्थापना की गई थी. SKM ने पहले ही इस समिति को खारिज कर दिया है और अपने प्रतिनिधियों को नामित नहीं करने का फैसला किया है.
पिछले साल नवंबर में 3 कृषि कानूनों को रद्द करने की घोषणा करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों के एमएसपी के मुद्दे पर गौर करने के लिए एक समिति गठित करने का वादा किया था.