बढ़ती महंगाई पर आया वित्त मंत्रालय का बयान, आने वाले दिनों में दिखेगा महंगाई कम करने वाले उपायों का असर
Retail Inflation: वित्त मंत्रालय ने कहा कि फूड और फ्यूल के प्राइस में उछाल के कारण महंगाई में तेजी आई है. पिछले दिनों सरकार ने महंगाई को कंट्रोल में करने के लिए जो कदम उठाए हैं, उसका असर आने वाले समय में जरूर दिखाई देगा.
Inflation: अगस्त महीने के लिए खुदरा महंगाई का डेटा आ गया है. लगातार तीन महीने तक गिरावट के बाद अगस्त में खुदरा महंगाई दर बढ़ गई. वित्त मंत्रालय ने कहा कि महंगाई में वृद्धि का कारण खाद्य वस्तुओं और ईंधन के दाम में आई तेजी है. इसके साथ ही उसने भरोसा जताया कि महंगाई को काबू में लाने के लिए उठाए गए उठाए गए कदमों का आने वाले महीनों में असर दिखेगा. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार खुदरा महंगाई अगस्त महीने में बढ़कर सात फीसदी पर पहुंच गई जबकि जुलाई के महीने में यह 6.71 फीसदी थी.
कोर इंफ्लेशन रेट आरबीआई के दायरे में 5.9 फीसदी रहा
वित्त मंत्रालय ने कहा कि अगस्त में कोर इंफ्लेशन रेट 5.9 फीसदी रहा जो लगातार चौथे महीने रिजर्व बैंक की अपर लिमिट (6 फीसदी) के दायरे में रहा. बता दें कि कोर इंफ्लेशन रेट में फूड इंफ्लेशन और एनर्जी प्राइस को शामिल नहीं किया जाता है. मंत्रालय ने उम्मीद जताई है कि सरकार ने आटा, चावल, मैदा आदि के निर्यात पर जो पाबंदी लगाई है, उससे इन जिंसों के दाम में नरमी आने की संभावना है.
कमजोर मानसून से महंगाई दबाव बढ़ा
महंगाई बढ़ने का प्रमुख कारण मानसूनी बारिश सामान्य नहीं होने से अनाज और सब्जियों के दाम में तेजी है. देश में अचानक से गर्मी बढ़ने से उत्पादन प्रभावित होने के कारण गेहूं की महंगाई पहले से दहाई अंक में है. वहीं कम मानसूनी बारिश के कारण धान की बुवाई का रकबा कम होने से उत्पादन पर प्रतिकूल असर पड़ने की आशंका है. इन दोनों कारणों से अनाज की महंगाई दर ऊंची बनी रहने की आशंका है.
लगातार आठवें महीने महंगाई दायरे से बाहर
केंद्रीय बैंक जब से मंहगाई को लक्ष्य में रखने की जिम्मेदारी लेकर चल रहा है, तब से यह दूसरी बार है जब खुदरा महंगाई आरबीआई के छह फीसदी की ऊपरी सीमा से लगातार आठवें महीने ऊपर बनी हुई है. इससे पहले अप्रैल, 2020 से नवंबर, 2020 के दौरान यह स्थिति देखने को मिली थी.
औद्योगिक उत्पादन ग्रोथ चार महीने में सबसे कम
दूसरी तरफ, विनिर्माण, बिजली और खनन जैसे क्षेत्रों में खराब प्रदर्शन के कारण देश में औद्योगिक उत्पादन (आईआईपी) की वृद्धि दर जुलाई में सुस्त पड़कर चार महीने के निचले स्तर 2.4 फीसदी पर आ गई. पिछले महीने जून में यह 12.7 फीसदी थी. सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, विनिर्माण क्षेत्र में इस साल जुलाई में 3.2 फीसदी की वृद्धि हुई जो चार महीने का निचला स्तर है. बिजली क्षेत्र में 2.3 फीसदी की वृद्धि हुई जो छह महीने का निचला स्तर है. खनन क्षेत्र में कोयला उत्पादन बढ़ने के बावजूद 16 महीने के अंतराल के बाद जुलाई में 3.3 फीसदी की गिरावट आई.
आरबीआई की चुनौती बढ़ी
डेलॉयट इंडिया की अर्थशास्त्री रुमकी मजूमदार ने कहा कि खुदरा महंगाई और औद्योगिक उत्पादन सूचकांक के आंकड़े बताते हैं कि आरबीआई को कितना काम करना है. उन्होंने कहा, ‘‘आरबीआई के समक्ष चुनौती संतुलन बनाने की है. उसे पुनरुद्धार को प्रभावित किये बिना महंगाई को काबू में लाने के लिये आक्रामक रूप से नीतिगत दर बढ़ाने की जरूरत होगी.’’
सितंबर में महंगाई दर 7.1 फीसदी रहने का अनुमान
इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि सीपीआई महंगाई सितंबर में मामूली बढ़कर 7.1 फीसदी रहने का अनुमान है. इंडिया रेटिंग्स ने कहा कि खुदरा महंगाई दर अगले साल जनवरी में ही छह फीसदी के नीचे आएगी. मजूमदार ने कहा, ‘‘हमारा अनुमान है कि आपूर्ति की स्थिति और वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुधार के साथ महंगाई 2023 में ही नरम होगी. सरकार पहले ही गेहूं के आटे के निर्यात पर पाबंदी लगा चुकी है. हाल में चावल पर भी निर्यात शुल्क लगाया गया है. इससे अनाज के मामले में कीमत दबाव कम होने की उम्मीद है.
RBI इंट्रेस्ट रेट में 50bps की बढ़ोतरी कर सकता है
इंडिया रेटिंग्स ने कहा, ‘‘अनाज की महंगाई, मुद्रा की विनिमय दर में गिरावट, वैश्विक स्तर पर जिंसों के ऊंचे दाम और सेवाओं की मांग में तेजी तथा प्राकृतिक गैस के दाम में 2022-23 की दूसरी छमाही में समीक्षा को देखते हुए परिदृश्य लगातार अनिश्चित बना हुआ है. इसको देखते हुए आरबीआई इस महीने मौद्रिक नीति समीक्षा में ब्याज दरों 0.25 से 0.50 फीसदी की वृद्धि कर सकता है.’’