वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने फॉरेन करेंसी ओवरसीज सॉवरेन बॉन्ड जारी करने की योजना पर फिर से विचार करने से इनकार कर दिया है. उन्होंने एक इंटरव्यू में एक सवाल के जवाब में यह बात कही है. सीतारमण ने इकोनॉमी में लॉन्ग टर्म रिस्क की चेतावनी को ध्यान में रखते हुए यह बात कही है. कहा जा रहा है कि प्रधानमंत्री कार्यालय ने यह इच्छा जताई थी कि वित्त  मंत्रालय फॉरेन करेंसी ओवरसीज सॉवरेन बॉन्ड जारी करने को लेकर फिर से आकलन करे और इस पर सलाह-मशवरा करे.

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सीतारमण ने बताया, "मैं कोई समीक्षा नहीं कर रही हूं. मुझे किसी ने भी समीक्षा करने के लिए नहीं कहा है." इस महीने, सीतारमण ने 1 अप्रैल से शुरू होने वाले वित्त वर्ष 2019-20 के लिए बजट पेश करते हुए कहा था कि भारत घरेलू बाजार से धन जुटाने के अलावा विदेशी मुद्रा संप्रभु बॉन्ड जारी करेगा. इस प्रस्ताव की भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व प्रमुखों, अर्थशास्त्रियों और सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के सहयोगियों ने आलोचना की है. उनका तर्क है कि इससे लंबी अवधि में सरकार की देनदारियों और मुद्रा में उतार-चढ़ाव की वजह से दीर्घकालिक आर्थिक जोखिम पैदा हो सकता है.

सीतारमण ने कहा कि सरकार अपने सकल ऋण कार्यक्रम का एक हिस्सा बाहरी बाजारों से बाहरी मुद्रा में शुरू करेगी. इससे घरेलू बाजार में सरकारी प्रतिभूतियों की मांग की स्थिति पर भी लाभकारी प्रभाव पड़ेगा. सरकार की योजना विदेशी बाजार से लगभग 10 बिलियन डॉलर उधार लेने की है. सरकार की वर्ष 2019-20 में लगभग कुल $103 बिलियन कर्ज लेने की योजना है.