Exclusive: होटल-रेस्त्रां में सर्विस चार्ज पर जल्द आएगा सर्कुलर, मेन्यू में लिखे दाम से अलग वसूली पर लगेगा जुर्माना
Service Charge: ग्राहक सर्विस चार्ज देने के लिए बाध्य नहीं है. ग्राहक रेस्त्रां में सर्विस चार्ज (Service Charge) देने के लिए साफ इनकार कर सकता है. लेकिन, इस नियम की लगातार होती अनदेखी के चलते सरकार एक्शन में आ गई है.
Service Charge: ग्राहक सर्विस चार्ज देने के लिए बाध्य नहीं है. ग्राहक रेस्त्रां में सर्विस चार्ज (Service Charge) देने के लिए साफ इनकार कर सकता है. लेकिन, इस नियम की लगातार होती अनदेखी के चलते सरकार एक्शन में आ गई है. होटल-रेस्त्रां की मनमानी पर लगाम लगाने के लिए सरकार जल्द ही नया सर्कुलर लाएगी. इसमें सर्विस चार्ज की कानूनी परिभाषा तय की जा रही है. सूत्रों के मुताबिक, सर्कुलर में इस बात का जिक्र होगा कि मेन्यू में लिखे दाम के बाद अगर कोई अलग से वसूली की जाती है तो ये दण्डनीय अपराध की कैटेगरी में आएगा. सर्कुलर का मकसद ये है कि इससे ग्राहकों को अपने कानूनी अधिकारों की जानकरी रहेगी.
ग्राहकों को सभी अधिकार और कानून बताएगी सरकार
सरकार अब 'जागो ग्राहक जागो' की पहल पर तेजी से काम कर रही है. सरकार का इरादा है कि ग्राहकों को उनके अधिकार या कानून की जानकारी होनी चाहिए. यही वजह है कि सर्विस चार्ज पर ग्राहकों को सरकार कानून समझाएगी और उनके अधिकार भी बताएगी. हालांकि, सरकार ने स्पष्ट किया कि वो Pricing तय करने में दखल नहीं देगी. लेकिन, मौजूदा कीमतों के ट्रेंड पर नजर रखेगी. सोमवार को ही सरकार ने ऑनलाइन फूड डिलिवरी कंपनियों को सर्विस सुधारने और प्राइसिंग की पूरी जानकारी देने को कहा था.
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होटल-रेस्त्रां संगठन के साथ हो चुकी है बड़ी बैठक
सर्विस चार्ज को लेकर सरकार ने 2 जून को बड़ी बैठक बुलाई थी. इस बैठक में होटल, रेस्त्रां से जुड़े संगठन शामिल हुए थे. इनके अलावा बैठक में Zomato, Swiggy, Delhivery, Zepto, Ola, Uber जैसे ऑनलाइन फूड डिलिवरी सर्विस प्रोवाइडर्स को भी शामिल किया गया था. दरअसल, कस्टमर हेल्पलाइन पर लगातार मिल रही शिकायताओं के बाद सरकार सर्विस चार्ज को लेकर कदम उठा रही है. ज़ी बिजनेस ने पहले ही बताया था कि सरकार सभी तरह की शिकायतों को कैटेगरी में बांट रही है.
अनिवार्य नहीं है Service Charge
भारत सरकार के उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने गाइडलाइंस जारी कर रखी है कि खाने-पीने के बिल में लेवी या सर्विस चार्ज (Service Charge) वैध नहीं है. इस तरह का चार्ज अनिवार्य नहीं है, बल्कि ये ग्राहक की इच्छा पर निर्भर है कि वह देना चाहे तो दे या न दे. ग्राहक जब परिवार के साथ खाने गए तो वह सर्विस चार्ज नहीं देना चाहता तो उन्हें मजबूर नहीं किया जा सकता. ऐसे करने वालों पर अनफेयर ट्रेड ऑफ प्रैक्टिस के तहत कार्रवाई भी की जा सकती है.
क्या हैं सर्विस चार्ज की मौजूदा गाइडलाइंस?
सर्विस चार्ज (Service Charge) को लेकर भारत सरकार की 21 अप्रैल 2017 को जारी गाइडलाइंस में कहा गया था कि ये बात नोटिस में आ रही है कि कुछ होटल और रेस्त्रां ग्राहक की सहमति के बिना टिप या सर्विस चार्ज ले रहे हैं.
- कई बार कंज्यूमर बिल में लगे सर्विस चार्ज देने के बाद भी वेटर को अलग से ये सोचकर टिप देते हैं कि बिल में लगने वाला चार्ज टैक्स का पार्ट होगा.
- कई जगह होटल और रेस्त्रां में ये भी लिखा होता है कि अगर कंज्यूमर अनिवार्य तौर पर सर्विस चार्ज देने के लिए सहमत न हों तो न आएं.
- खाने की जो कीमत लिखी होती है उसमें माना जाता है कि खाने की कीमत के साथ-साथ सर्विस जुड़ा हुआ है.
- अनफेयर ट्रेड ऑफ प्रैक्टिस में कंज्यूमर उपभोक्ता अदालत का दरवाजा खटखटा सकता है.
- जब ग्राहक मैन्यू देखता है तो उसमें खाने के आइटम की कीमत और टैक्स लिखा होता है और इसके लिए तैयार होने पर ही कंज्यूमर ऑर्डर करता है. लेकिन, इसके अलावा ग्राहक की सहमति के बिना लिया जाने वाला कोई भी चार्ज अनफेयर ट्रेड ऑफ प्रैक्टिस है.
- टिप कंज्यूमर के अधिकार में है. ऐसे में बिल में साफ लिखा होना चाहिए कि सर्विस चार्ज उपभोक्ता की मर्जी पर है और सर्विस चार्ज का कॉलम खाली रखा जा सकता है कि कंज्यूमर उसमें खुद पेमेंट से पहले अमाउंट भर ले.