Digital Rupee: UPI से भी जुड़ेगा ई-रुपया, रीटेल और होलसेल के लिए आ सकती हैं अलग-अलग CBDC; जानें खास बातें
RBI का डिजिटल रुपया CBDC के लिए जल्द ही पायलट प्रोजेक्ट शुरू होगा. इसमें अलग अलग उम्र और अलग-अलग फील्ड के लोग शामिल होंगे. पायलट प्रोजेक्ट से मिले नतीजों के आधार पर डिजिटल रुपये की फाइनल लॉन्चिंग होगी.
केंद्रीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को डिजिटल रुपया (RBI Digital Rupee) लॉन्च करने को लेकर कॉन्सेप्ट नोट या ड्राफ्ट पेपर जारी किया है. इसके साथ बैंक ने बताया है कि वो डिजिटल करेंसी की तर्ज पर डिजिटल रुपये- Central Bank Digital Currency (CBDC) का पायलट प्रोजेक्ट जल्द ही लॉन्च करने जा रहा है. आरबीआई आने वाले वक्त में स्टेज-बाई-स्टेज डिजिटल करेंसी के तौर पर डिजिटल रुपया लॉन्च करने वाला है. अभी इसे पहले फेज में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया जाएगा. आरबीआई इसके इस्तेमाल और दायरे पर नजर रखेगी, उसके हिसाब से धीरे-धीरे इसका विस्तार होगा.
51 पन्नों के इस ड्राफ्ट नोट से कई बातें निकलकर सामने आ रही हैं. जिनमें से कुछ खास बातों पर नजर डाल रहे हैं यहां-
डिजिटल रुपये की खास बातें और इसके फायदे (Key Points on RBI CBDC Draft)
- RBI का डिजिटल रुपया CBDC (Central Bank Digital Currency) के लिए जल्द ही पायलट प्रोजेक्ट शुरू होगा. इसमें अलग अलग उम्र और अलग-अलग फील्ड के लोग शामिल होंगे. पायलट प्रोजेक्ट से मिले नतीजों के आधार पर डिजिटल रुपये की फाइनल लॉन्चिंग होगी.
-रीटेल और होलसेल के लिए अलग CBDC आएगी, ऐसा संभव है. रीटेल CBDC का इस्तेमाल पेमेंट, सेटलमेंट वगैरह में हो सकता है. वहीं होलसेल CBDC बड़े वित्तीय संस्थानों के लिए जारी होगी. रिटेल के लिए टोकन आधारित CBDC मुमकिन है. वहीं होलसेल के लिए अकाउंट आधारित CBDC लाई जा सकती है. रीटेल CBDC में गोपनीयता बनाए रखने की कोशिश होगी.
- CBDC पर ग्राहकों को किसी तरह का ब्याज नहीं मिलेगा.
- मौजूदा डिनॉमिनेशन वाली करेंसी पर ही CBDC का लॉन्च संभव है.
- सैद्धांतिक तौर पर डिजिटल रुपया नकदी में बदल सकेंगे.
- मौजूदा UPI आधारित पेमेंट सिस्टम से जोड़ा जाएगा.
- हैक की दशा में रीकॉल फीचर, रिकवरी का फीचर भी होगा.
-शिकायतों के निपटारे के लिए मजबूत व्यवस्था बनेगी.
- संभव है कि कोई कितनी CBDC रख सकेगा इसे लेकर भी एक लिमिट रखी जाए.
- यह भी मुमकिन है कि CBDC के लिए बैंक अकाउंट की शर्त न लगाई जाए.
- मॉनेटरी पॉलिसी पर बुरा असर होगा, यह साफ नहीं है.
- एंटी मनी लॉन्डरिंग नियमों का पालन हो ये तय होगा.
- डायरेक्ट, इनडायरेक्ट मॉडल ऑफ इश्यू की चर्चा है. डायरेक्ट में सारा जिम्मा रिजर्व बैंक के पास होगा, वहीं इनडायरेक्ट में बैंक, अन्य संस्थाओं की भी भूमिका हो सकती है.
आरबीआई की अपनी डिजिटल करेंसी लाने के क्या फायदे होंगे?
- इससे करेंसी मैनेजमेंट की लागत में कमी आएगी.
- FY22 में नोट छापने पर 4,984 करोड़ का खर्च आएगा.
- इससे सेटलमेंट के जोखिम में कमी आएगी.
- ग्राहकों के लिए इस्तेमाल में सहूलियत होगी
- आंत्रप्रेन्योर्स नए टेक प्रोडक्ट ला सकेंगे.