खुदरा महंगाई के आंकड़े सामने आ गए हैं और आंकड़ों से साफ है कि हम सितंबर में और महंगाई की ओर बढ़े हैं. सितंबर में खुदरा महंगाई की दर 7 से बढ़कर 7.4% पर पहुंच गई है. खाने-पीने के सामान की दर 7.6 से बढ़कर 8.6% पर आ गई है. आरबीआई ने सीपीआई इंफ्लेशन पर अपना टारगेट 2 से 6 पर्सेंट के बीच रखा है, लेकिन यह लगातार तीसरी तिमाही और लगातार नौवां महीना है, जब यह इस बैंड से ऊपर आया है. सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय (Ministry of Statistics and Programme Implementation) ने 12 अक्टूबर को सीपीआई इंफ्लेशन पर अपने आंकड़े जारी किए हैं.

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

Mospi की ओर से शेयर किए गए डेटा के मुताबिक, सितंबर, 2021 में खुदरा महंगाई जहां, 4.35 फीसदी पर थी, वही, एक साल में बढ़कर यह 7.41 फीसदी पर पहुंच गई है. अगस्त, 2022 में यह 7 फीसदी पर थी. हालांकि, सितंबर, 2021 में जहां कंज्यूमर फूड प्राइस इंडेक्स 0.68 पर था, वहीं एक साल बाद यह 8.60 पर आ गया है. यानी एक साल में खाने-पीने की चीजें इतनी महंगी हो गई है. अगर पिछली तीन तिमाही के रिटेल इंफ्लेशन के एवरेज पर नजर डालें तो जनवरी-मार्च में यह 6.3, अप्रैल-जून में 7.3 फीसदी और जुलाई-सितंबर में 7 फीसदी पर रहा है

आरबीआई ने सीपीआई इंफ्लेशन के अपने फोरकास्ट में यह अनुमान जताया है कि FY23 में यह 6.7 के औसत पर रह सकता है और फिर FY24 तक गिरकर 5.2 फीसदी के औसत पर आ सकता है.

Kotak Institutional Equities के सीनियर इकोनॉमिस्ट शुभोदीप रक्षित ने कहा कि “CPI इंफ्लेशन का डेटा 7.35% के अनुमान के करीब आया है. खाने का सामान लगातार महंगा हो रहा है, खासकर अनाज और सब्जियां. बेमौसम बारिश के चलते ये अभी और ऊपर जा सकती हैं.  कोर इंफ्लेशन 6.26% पर है जो पिछले 4-5 महीनों के ट्रेंड के बराबर है और हो सकता है कि इस पूरे वित्तवर्ष में इसी रेंज पर बना रहे. हमारा मानना है कि सितंबर के इंफ्लेशन डेटा से आरबीआई को अभी दिसंबर में भी रेपो रेट में 35 बेसिस पॉइंट की बढ़ोतरी करनी चाहिए. इंफ्लेशन अभी फरवरी, 2023 तक 6% पर रह सकता है. और FY24 तक धीरे-धीरे गिरकर 4.5-5.5% के रेंज में आ सकता है.”