Budget 2023: एक फरवरी को पेश होने वाले बजट (Budget 2023) से पहले एक्सपर्ट्स ने वित्त मंत्री (Finance Minister) से टैक्स मोर्चे पर मांग की है. न्यूज एजेंसी पीटीआई की खबर के मुताबिक, एक्सपर्ट्स ने कहा कि बजट में केवल कैपिटल गेन्स (Capital Gains Tax) या डिविडेंड (Dividend) या ब्याज आय (Interest Income) पर टैक्स देने वाले टैक्सपेयर्स (Taxpayers) के लिए बजट में सरल इनकम टैक्स रिटर्न फॉर्म (ITR Form) लाया जाना चाहिए. विशेषज्ञों ने यह राय देते हुए कहा कि कैपिटल गेन्स टैक्स रिजीम को भी रेशनलाइज बनाने की जरूरत है.

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इनकम टैक्स एक्ट के तहत कैपिटल एसेट्स के ट्रांसफर पर होने वाले फायदे (चल और अचल दोनों) पर कैपिटल गेन्स के तहत टैक्स लगाया जाता है. अलग-अलग एसेट क्लास के लिए टैक्स की दर अलग-अलग है. इसके अलावा एसेट्स को पास में रखने के आधार पर शॉर्ट या लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स के रूप में क्लासिफाइड किया जाता है.

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कैपिटल गेन्स टैक्स की दरें कम की जाए

भारत में कैपिटल मार्केट (Capital Market) तेजी से बढ़ रहा है और कंपनियां फंड जुटाने के लिए इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (IPO) का रास्ता अपना रही हैं. ऐसे में व्यापक मांग है कि कैपिटल गेन्स टैक्स स्ट्रक्चर को स्ट्रीमलाइन किया जाए. डेलॉयट इंडिया के भागीदार रोहिंटन सिधवा ने कहा कि अलग-अलग प्रकार की संपत्तियों के लिए होल्डिंग पीरियड और अलग-अलग प्रकार के कैपिटल एसेट्स के लिए टैक्स की दरों की संख्या को अधिकतम 1-2 पीरियड्स या रेट्स (संबंधित सेस के साथ) तक कम किया जाना चाहिए.

वित्त मंत्रालय पहले से ही सभी टैक्सपेयर्स के लिए यूजर-फ्रेंडली इनकम टैक्स रिटर्न फॉर्म पर काम कर रहा है और इसकी घोषणा 2023-24 के बजट में 1 फरवरी को पेश होने की उम्मीद है.

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शॉर्ट और लॉन्ग टर्म के बीच का अंतर हो सकता है दूर

नांगिया एंडरसन एलएलपी के टैक्स लीडर अरविंद श्रीवत्सन ने कहा कि भारत में कई स्टार्टअप कंपनियां फिर से शुरू हो रही हैं और निवेशकों ने कैपिटल गेन्स रिजीम को ग्लोबल रिजीम के अनुरूप बनाने की मांग की है. बजट कैपिटल गेन्स रिजीम को आसान बना सकता है, डेट और इक्विटी और शॉर्ट-टर्म और लॉन्ग- टर्म के बीच के अंतर को दूर कर सकता है.

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