Cabinet Decisions: सरकार ने गुरुवार को सात राज्यों में लगभग 20 GW के रिन्यूबल एनर्जी प्रोजेक्ट्स के ग्रिड इंटीग्रेशन और बिजली निकासी की सुविधा के लिए ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर (Green Energy Corridor) के दूसरे चरण के लिए मंजूदी दे दी है. इस योजना में 12,031 करोड़ रुपये का खर्चा आएगा.

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एक आधिकारिक बयान में कहा गया, "प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) ने आज लगभग 10,750 सर्किट किलोमीटर (ckm) पारेषण लाइनों को जोड़ने के लिए इंट्रा-स्टेट ट्रांसमिशन सिस्टम (InSTS) और सबस्टेशनों की लगभग 27,500 मेगा वोल्ट-एम्पीयर (MVA) परिवर्तन क्षमता के लिए ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर (GEC) के दूसरे चरण को मंजूरी दी."

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कैबिनेट के फैसले के बारे में बताते हुए केंद्रीय मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर (Anurag Singh Thakur) ने कहा कि ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर का दूसरा चरण 2021-22 से 2025-26 वित्तीय वर्षों के दौरान चलेगा.

इन सात राज्यों को होगा लाभ

इस योजना से सात राज्यों-  गुजरात, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, केरल, राजस्थान, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश में लगभग 20 GW रिन्यूबल एनर्जी (RE) परियोजनाओं के ग्रिड इंटीग्रेशन और बिजली निकासी की सुविधा मिलेगी.

पहले चरण का खर्च

अनुराग ठाकुर ने कहा कि पहले चरण का 80 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है. पहले चरण में का खर्च करीब 10,142 करोड़ रुपये था.

बयान में कहा गया है कि ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर (Green Energy Corridor) योजना के दूसरे चरण को कुल अनुमानित लागत 12,031.33 करोड़ रुपये के साथ स्थापित करने का लक्ष्य है. योजना में केंद्र सरकार की हिस्सेदारी 33 फीसदी यानी 3,970.34 करोड़ रुपये होगी.

देश के रिन्यूबल एनर्जी टार्गेट को

केंद्र सरकार इंट्रा-स्टेट ट्रांसमिशन शुल्क को ऑफसेट करने और बिजली की लागत को कम रखने में मदद करेगा. इस योजना से 2030 तक 450 GW स्थापित रिन्यूबल एनर्जी के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करेगी. इससे देश के दीर्घकालिक ऊर्जा सुरक्षा में योगदान मिलेगा और कॉर्बन फुटप्रिंट को कम करके पारिस्थितिक रूप से सतत विकास को बढ़ावा देगा.