Budget 2025 Expectations: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी 2025 को देश के सामने आम बजट पेश कर सकती हैं. इसके लिए तैयारियां लगातार चल रही है. वित्त मंत्री इस समय अलग-अलग सेक्टर्स के स्टेकहोल्डर्स के साथ प्री-बजट मीटिंग्स कर रही हैं, जिसमें वह लोगों की मांगों को सुन रही है. Infosys के पूर्व CFO मोहनदास पाई ने भी नए साल की बधाई देते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बजट को लेकर अपनी विश लिस्ट को शेयर किया है. इसमें टैक्स स्लैब में बदलाव, मिडिल क्लास को राहत से लेकर कई सारी मांगें शामिल हैं. 

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मोहनदास पाई ने अपने X हैंडल पर लिखा, "पीएम सर, 2025 के लिए शुभकामनाएं- कृपया इसे बड़े सुधारों का साल बनाएं, जिसकी शुरुआत बजट 2025-26 से होनी चाहिए." 

 

पर्सनल टैक्स कलेक्शन में लगातार इजाफा

उन्होंने आगे कहा कि इस बजट में सरकार लंबे समय से परेशान मिडिल क्लास IT पेयर्स को राहत दें. वे NDA से नाराज हैं, लेकिन उन्होंने आपको वोट दिया है. व्यक्तिगत टैक्स कलेक्शन 2020-21 में 4.87 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2023-24 में 10.45 लाख करोड़ रुपये हो गया है. 3 साल में 114 फीसदी की ग्रोथ. 2024-25 में ये 22 फीसदी के इजाफे के साथ 12.5 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है. 

ज्यादा टैक्स, इंफ्लेशन, स्कूल-कॉलेज की ज्यादा फीस, और आय में इजाफे कारण मिडिल क्लास टैक्सपेयर्स के पास दूसरे खर्चों के लिए पैसे नहीं बच रहे हैं. 

क्या होनी चाहिए नई टैक्स स्लैब?

उन्होंने सरकार से मांग की कि टैक्स स्लैब को बदलना चाहिए. 5 लाख तक कोई टैक्स नहीं, 5-10 लाख तक 10 फीसदी, 10-20 लाख तक 20 फीसदी और 20 लाख से ऊपर 30 फीसदी. 50 लाख रुपये से ऊपर सरचार्ज. इसमें सरकार 80 D और 80G के अलावा कोई कटौती नहीं होनी चाहिए. 

60 साल से ऊपर के सीनियर सिटीजन को केवल 75 लाख तक आय पर छूट और 70 साल से ऊपर के नागरिकों के लिए 10 लाख रुपये तक टैक्स पर छूट. वहीं, 5 लाख रूपये तक की आय पर रिटर्न दाखिल करने की कोई बाध्यता न हो. 

हाउसिंग लोन से कितनी राहत?

उन्होंने कहा कि हाउसिंग लोन पर डिडक्शन बड़ी राहत है, लेकिन 3.5 करोड़ टैक्सपेयर्स में से केवल 1.2 करोड़ टैक्सपेयर्स को यह मिल पाता है, क्योंकि उन्हीं लोगो के पास हाउसिंग लोन है. लोगों को ज्यादा खर्च करने के लिए पैसे की आवश्यकता होती है. 

टैक्स आतंकवाद पर लगाएं लगाम

उन्होंने पीएम मोदी से कहा कि आपने 2014 में टैक्स आतंकवाद को  रोकने की बात कही थी. अपने इस वादे को पूरा करें. टैक्स में विवादित राशि 2014 में 4.5 लाख करोड़ रुपये थी, जो कि बढ़कर 12.5 लाख करोड़ रुपये हो गई है. ये वित्त मंत्री और आयकर विभाग की बड़ी विफलता है. कृपया 2025-26 को टैक्स विवाद समाधान साल घोषित करें. केवल टैक्स के विवादों को निपटाने पर ध्यान दें. 

मिडिल क्लास पर सबसे ज्यादा बोझ!

मिडिल क्लास को राहत की मांग करते हुए उन्होंने कहा कि कृपया आयकर भुगतान करने वाले मिडिल क्लास पर ध्यान दें. आज केंद्र और राज्य सरकारें भारत में गरीब तबके के 60 फीसदी लोगों के लिए 900000 करोड़ रुपये से अधिक सब्सिडी पर खर्च करती है. लेकिन मिडिल क्लास पर टैक्स का सबसे ज्यादा बोझ पड़ता है. देश का मिडिल क्लास लगातार गरीब होता जा रहा है, जिसके ऊपर किसी का ध्यान नहीं है. सरकार की इस नजरअंदाजी से मिडिल क्लास नाराज है.