Union Budget 2023: 1 फरवरी को देश का बजट पेश होगा. इस बार वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) पांचवां बजट को पेश करेंगी. बजट से पहले कई तरह की परंपराएं निभाई जाती हैं. इन्‍हीं में से एक हलवा सेरेमनी (Halwa Ceremony) है, जो गुरुवार को हो चुकी है. हलवा सेरेमनी के साथ बजट की छपाई को ग्रीन सिग्‍नल मिल जाता है. बजट की छपाई का काम नॉर्थ ब्‍लॉक के बेसमेंट में होता है. इस सेरेमनी के साथ बजट (Budget) प्रक्रिया में शामिल सभी लोगों का बाहरी दुनिया से कनेक्‍शन कट जाता है. इस बीच वो नॉर्थ ब्‍लॉक में ही रहते हैं. लेकिन क्‍या आप जानते हैं कि नॉर्थ ब्‍लॉक से पहले इस बजट को राष्‍ट्रपति भवन (Rashtrapati Bhavan) में छापा जाता था. आखिर फिर क्‍यों छपाई का काम नॉर्थ ब्‍लॉक (North Block) में किया जाने लगा और क्‍यों प्रिंटिंग में शामिल सभी अधिकारी और सपोर्ट स्‍टाफ मंत्रालय में पैक करने की जरूरत पड़ी? आइए जानते हैं इस बारे में.

लीक होने के बाद बदली गई जगह

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

1950 तक बजट की छपाई का काम राष्ट्रपति भवन (Rashtrapati Bhavan) में होता था, लेकिन इसी साल बजट का कुछ हिस्सा लीक हो गया. उस समय जॉन मथाई वित्‍त मंत्री थे. इस बजट को पेश करने के बाद उन पर बड़ी शक्तियों के हित साधने के आरोप लगे थे. उनके खिलाफ प्रदर्शन हुए थे. इस बजट को पेश करने के बाद जॉन मथाई को इस्‍तीफा देना पड़ा था. इसके बाद प्रिंटिंग के स्‍थान को बदलना पड़ा और इसे नई दिल्‍ली के मिंटो रोड में बजट छापने की प्रक्रिया शुरू हो गई. हालांकि बजट के लीक होने का वो पहला और आखिरी मौका था, उसके बाद कभी दोबारा ऐसा नहीं हुआ.

1980 से शुरु हुई नॉर्थ ब्‍लॉक में छपाई

साल 1980 में सरकार ने नॉर्थ ब्‍लॉक में प्रिंटिंग प्रेस लगाने का फैसला किया और तब से लेकर आज तक केंद्रीय बजट की छपाई का काम नॉर्थ ब्‍लॉक में ही किया जा रहा है. हर साल बजट की प्रिंटिंग का काम शुरू होने से पहले हलवा सेरेमनी का आयोजन किया जाता है. ये सेरेमनी ठीक उसी तरह से है, जैसे कोई शुभ काम शुरू करने से पहले मुंह मीठा कराया जाता है. हलवा सेरेमनी के बाद बजट प्रिंट होने की प्रक्रिया (Budget Printing Process) शुरू हो जाती है और बजट प्रक्रिया की प्रिंटिंग में शामिल सभी अधिकारी और सपोर्ट स्‍टाफ मंत्रालय को नॉर्थ ब्‍लॉक में पैक कर दिया जाता है. इस बीच बाहरी दुनिया से उनका कोई लेना देना नहीं होता है. इन लोगों को फोन का इस्‍तेमाल करने की अनुमति नहीं होती है और न ही परिवार से मिलने की परमीशन होती है. ये सारी एहतियात भी बजट के दस्‍तावेजों की सुरक्षा के लिए अपनाई जाती हैं. 

 

Zee Business Hindi Live TV यहां देखें