बजट 2023: इंश्योरेंस प्रोडक्ट्स पर कस्टमर्स को मिले टैक्सेशन का ज्यादा फायदा, इंडस्ट्री को बजट से हैं ये खास उम्मीदें
Budget 2023 Insurance Sector Expectations: एक्सपर्ट का मानना है कि कोरोना महामारी के बाद से लोगों में इंश्योरेंस खासकर लाइफ और हेल्थ इंश्योरेंस को लेकर जागरुकता बढ़ी है. ऐसे में इंश्योरेंस प्रोडक्ट्स को ज्यादा से ज्यादा तक पहुंचाने के लिए टैक्सेशन में और रियायत देने की जरूरत है.
Budget 2023 Insurance Sector Expectations: बजट 2023 पर हर किसी की नजर टिकी है. आम आदमी, बिजनेसमैन या इंडस्ट्री, सभी को उम्मीद से है बजट से उनके फायदे के लिए कुछ अहम एलान होंगे. इंश्योरेंस इंडस्ट्री को भी बजट से काफी उम्मीदें हैं. एक्सपर्ट का मानना है कि कोरोना महामारी के बाद से लोगों में इंश्योरेंस खासकर लाइफ और हेल्थ इंश्योरेंस को लेकर जागरुकता बढ़ी है. ऐसे में इंश्योरेंस प्रोडक्ट्स को ज्यादा से ज्यादा तक पहुंचाने के लिए टैक्सेशन में और रियायत देने की जरूरत है. वहीं, निवेश को बढ़ावा देने और ईज ऑफ डूइंग में सुधार से इंडस्ट्री का पेनिट्रेशन गैप कम होगा और इंडस्ट्री की ग्रोथ को बूस्ट मिलेगा.
ICICI Lombard GIC के एमडी एंड सीईओ भार्गव दासगुप्ता का कहना है, आज के समय में इंश्योरेंस हर किसी की फाइनेंशियल प्लानिंग का एक जरूरी हिस्सा है. इंश्योरेंस प्रोडक्ट्स से जरूरत या इमरजेंसी के समय फाइनेंशियल मदद मिलती है. साथ ही इसमें टैक्स बेनेफिट भी मिलता है. इस वजह है कि ज्यादा से ज्याद लोग अपनी फैमिली को प्रोटेक्ट करने के लिए इंश्योरेंस का कवर लेते हैं.
इंडस्ट्री की बजट से उम्मीदों पर भार्गव दासगुप्ता कहते हैं, इंश्योरेंस की पहुंच ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने के लिए इस पर टैक्सेशन का ज्यादा लाभ दिया जाए. इंश्योरेंस प्रोडक्ट्स पर टैक्स बेनेफिट मिलने से एक बड़ी आबादी अपने और अपनी फैमिली का इंश्योरेंस लेने के लिए आगे आएगी. ओवरआल बजट की आज की जाए, तो अगर सरकार निवेश को बढ़ावा देना जारी रखे, ईज ऑफ डूइंग में और सुधार करे और साथ ही कैपिटल फॉर्मेशन को आसान बनाए, तो यह फेवरेबल होगा. यानी, इंडस्ट्री के लिए बेहतर होगा. सरकार की यह पहल, लंबे समय में ग्राहकों को बेहतर विकल्प देगा और इंडस्ट्री की पहुंच बढ़ाएगा. साथ ही पेनिट्रेशन गैप को कम करने में मददगार होगा.
सेक्शन 80D पर टैक्स छूट बढ़े, कम हो GST
पॉलिसी बाजार डॉट कॉम के बिजनेस हेड (हेल्थ इंश्योरेंस) सिद्धार्थ सिंघल का कहना है, कोरोना महामारी की वजह से लोगों के बीच हेल्थ इंश्योरेंस को लेकर जागरूकता काफी बढ़ी है. बजट से उम्मीदों के बारें में अगर हेल्थ इंश्योरेंस के नजरिए से बात करें तो, महामारी के बाद से हेल्थ इंश्योरेंस की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए इंश्योरेंस इंडस्ट्री तेज से विकसित हुई है. इसलिए यह जरूरी है कि हेल्थ इंश्योरेंस की बढ़ती मांग को देखते हुए लोगों के हित में कदम उठाया जाए.
सिद्धार्थ सिंघल का कहना है, मेडिकल इंश्योरेंस के प्रीमियम पर सेक्शन 80D के अंतर्गत टैक्स बेनिफिट की सीमा को कम से कम 1 लाख तक बढ़ाई जानी चाहिए. साथ ही, अंतिम उपभोक्ता के लिए इसे और ज्यादा कॉस्ट इफेक्टिव बनाने के लिए हेल्थ इंश्योरेंस पर लगने वाली GST दर को 18 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी किया जाना चाहिए. इसके अलावा, पेंशन प्रोडक्ट्स को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने की जरूरत है. इसके लिए एन्युटी प्लान से होने वाली इनकम पर भी टैक्स से छूट दी दी जानी चाहिए.
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