देश का आम बजट पेश होने में कुछ ही दिन बा‍की हैं. 1 फरवरी को वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पांचवां बजट (Union Budget) पेश करेंगी. मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का ये आखिरी पूर्ण बजट है. इस बजट से आम आदमी को काफी उम्‍मीदें हैं. बता दें कि बजट की तैयारियां काफी पहले से शुरू हो जाती हैं. तमाम विचार विमर्श और कई सारी प्रक्रियाओं से गुजरने के बाद, जब बजट के दस्‍तावेजों को फाइनल रूप दे दिया जाता है, उसके बाद इन दस्‍तावेजों की सुरक्षा के लिए कड़ी व्‍यवस्‍था की जाती है. आइए आपको बताते हैं बजट से जुड़ी रोचक बातें.

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1- बजट के बेहद गोपनीय दस्‍तावेजों को तैयार करने के दौरान इसमें शामिल अधिकारी और कर्मचारी करीब 10 दिनों के लिए पूरी दुनिया से कट जाते हैं. यहां तक कि उन्‍हें अपने घर में जाने की भी परमीशन नहीं होती. जब तक बजट पेश नहीं हो जाता, त‍ब तक इन लोगों की सुरक्षा के मद्देनजर व्यवस्था चाक-चौबंद होती है.  

2- बजट बनाने और इसकी छपाई से जुड़े अधिकारियों और कर्मचारियों का लॉक इन पीरियड हर साल हलवा सेरेमनी के बाद शुरू होता है. हालांकि पिछली साल कोविड-19 प्रोटोकॉल्स को फॉलो करते हुए केंद्रीय बजट पहली बार पेपरलेस रूप में पेश किया गया था और बजट टीम में शामिल कोर स्टाफ को लॉक इन में भेजने से पहले मिठाई बांटी गई थी. 

3- एक बार लॉक इन पीरियड शुरू होने के बाद कोई भी बाहरी व्‍यक्ति वित्‍त मंत्रालय में प्रवेश नहीं कर सकता. मोबाइल नेटवर्क काम नहीं करता. इंटरनेट के इस्‍तेमाल पर पाबंदी रहती है. सिर्फ लैंडलाइन के जरिए ही बातचीत हो पाती है.

4- इन 10 दिनों के बीच अगर कोई कर्मचारी बीमार पड़ जाए तो उसे अस्‍पताल में जाकर इलाज कराने की भी इजाजत नहीं होती है. लॉक इन पीरियड के दौरान मेडिकल सुविधाएं उपलब्‍ध कराने के लिए सभी सुविधाओं से लैस डॉक्‍टरों की टीम वहां पर मौजूद रहती है.

5- गोपनीय दस्‍तावेजों को किसी भी तरह की हैकिंग के रिस्‍क से बचाने के लिए जिन कंप्यूटरों पर बजट डॉक्यूमेंट मौजूद होता है, उनसे इंटरनेट और एनआईसी के सर्वर को डिलिंक कर दिया जाता है. ये कंप्‍यूटर सिर्फ प्रिंटर और छपाई मशीन से कनेक्‍ट होते हैं.

6- बता दें कि 1950 तक बजट की छपाई राष्ट्रपति भवन में होती थी, लेकिन 1950 में बजट का कुछ हिस्सा लीक हो गया था, इसके बाद छपाई नई दिल्ली के मिंटो रोड स्थित प्रेस में होने लगी और फिर 1980 से नॉर्थ ब्लॉक के बेसमेंट में बनी प्रिटिंग प्रेस में इसकी छपाई होने लगी. 

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