Budget 2023: टैक्स Exemption, Deduction और Rebate का अंतर कितना समझते हैं आप? बजट से पहले जान लें काम की बात
जब भी Tax Saving की बात की जाती है तो तीन शब्द इस्तेमाल होते हैं Exemption, Deduction और Rebate. तमाम लोग इन शब्दों के बीच का मतलब नहीं समझते हैं. अगर आपके साथ भी ऐसा कुछ है तो यहां जानिए इसके बारे में.
Union Budget 2023: बजट पेश होने में कुछ ही समय बाकी बचा है. 1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का आखिरी बजट (Budget) पेश करेंगी. इस बजट से लोगों को काफी उम्मीदें हैं. खासतौर से इनकम टैक्स लिमिट बढ़ाए जाने की बात जोर-शोर से की जा रही है. जब भी Tax Saving की बात की जाती है तो तीन शब्द इस्तेमाल होते हैं Exemption, Deduction और Rebate. तमाम लोग इन शब्दों के बीच का मतलब नहीं समझते हैं. अगर आप भी इस अंतर को नहीं जानते हैं, तो अब जान लें, ताकि बजट के दौरान अगर टैक्स स्लैब में किसी तरह का बदलाव होता है तो आप उसको आसानी से समझ सकें.
Tax Exemption
सबसे पहले बात करेंगे टैक्स छूट यानी Tax Exemption की. टैक्स छूट का मतलब आपकी इनकम के ऐसे स्रोतों से हैं, जिन पर सरकार की तरफ से आपको टैक्स में छूट दी जाए. दूसरे शब्दों में कहें तो ऐसे स्रोतों से होने वाली आय पर आपको टैक्स देने की जरूरत ही नहीं होती है. आपकी कुल सैलरी पर जब टैक्स देनदारी का कैलकुलेशन किया जाता है तो उस समय छूट वाली ऐसी आय को आपकी कुल सैलरी या आय के अन्य स्रोतो में से सबसे पहले घटा दिया जाता है. उदाहरण के तौर पर HRA कुछ खास नियमों के अधीन टैक्स छूट के दायरे में आता है.
Tax Deduction
अपनी कुल आय में से छूट को घटा देने के बाद आप अपनी ग्रॉस टोटल इनकम को टैक्स डिडक्शन के जरिए और कम कर सकते हैं. इनकम टैक्स अधिनियम की धारा 80C के तहत निवेश कर डिडक्शन का फायदा उठा सकते हैं. ऐसे में इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम, पीपीएफ जैसी निवेश की स्कीम्स मददगार होती हैं. कुछ खास तरह के खर्च भी इसके दायरे में आते हैं. उदाहरण के तौर पर अगर आप सैलरीड हैं तो 50,000 रुपए का स्टैंडर्ड डिडक्शन (Standard deduction) क्लेम कर सकते हैं.
Tax Rebate
Exemption और Deduction के बाद आपकी जो इनकम बचती है, उस पर आपको टैक्स देना होता है. टैक्स की गणना करने के बाद Rebate आपको इनकम टैक्स की राशि के भुगतान में राहत देता है. ये वो राशि होती है जिस पर करदाता को टैक्स नहीं देना होता है. उदाहरण के तौर पर धारा 87A के तहत मिलने वाला रिबेट. इसके अनुसार अगर आपकी सालाना आय 3.5 लाख रुपए से कम है तो आप 2,500 रुपए तक के रिबेट क्लेम कर सकते हैं.
उदाहरण से समझिए
मान लीजिए किसी व्यक्ति की कमाई 5 लाख रुपए है और उसे 50,000 रुपए का HRA मिलता है. छूट के बाद उसकी आय 4.5 लाख रुपए होगी. अगर हम मान लें कि धारा 80C के तहत उसने 1.5 लाख रुपए के डिडक्शन का फायदा उठाया है तो उसकी कुल आय 3 लाख रुपए होगी, जिस पर टैक्स बनेगा. 5% के हिसाब से उसे 2,500 रुपए टैक्स देना होगा. अब यहां टैक्स रिबेट काम आएगी. 2,500 रुपए का रिबेट क्लेम करने पर उस व्यक्ति को कोई इनकम टैक्स नहीं देना होगा.
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