Budget 2023: कैसे होता है देश का आम बजट पास, जानिए पूरा प्रोसेस
Budget 2023: बजट एक तरह का मनी बिल (Money Bill) होता हैं, ये एक वित्तीय वर्ष (Financial Year) के लिए बनाया जाता है. बजट को सबसे पहले संसद के लोकसभा (Loksabha) में पेश किया जाता हैं.
Budget 2023: भारत में, देश का आम बजट (Union Budget 2023) फाइनेंस मिनिस्ट्री का डिपार्टमेंट ऑफ़ इकनोमिक अफेयर्स (Department of Economic Affairs, Ministry of Finance) बनता है. 2016 से पहले आम बजट और देश का रेलवे बजट (Railway Budget) अलग-अलग पेश किया जाता था, लेकिन अब आम बजट और रेलवे बजट दोनों साथ ही पेश किए जाते हैं.
संविधान में बजट!
संविधान (Indian Constitution) में बजट को ‘एनुअल फाइनेंशियल स्टेटमेंट’ (Annual Financial Statement) कहा गया हैं. मतलब, बजट शब्द का प्रयोग संविधान में कहीं भी नहीं किया गया हैं. संविधान का आर्टिकल 112 (Article 112) देश के बजट यानी एनुअल फाइनेंशियल स्टेटमेंट के बारे में बताता हैं.
बजट एक तरह का मनी बिल (Money Bill) होता हैं, ये एक वित्तीय वर्ष (Financial Year) के लिए बनाया जाता है. बजट को सबसे पहले संसद के लोकसभा (Loksabha) में पेश किया जाता हैं. संविधान के आर्टिकल 112 के मुताबिक देश के राष्ट्रपति को लोकसभा के सामने देश का बजट पेश करना चाहिए. लेकिन, आर्टिकल 77(3) के ज़रिए, राष्ट्रपति ने वित्त मंत्री को बजट बनाने और बजट को लोकसभा में पेश करने की जिम्मेदारी दी है.
कैसे होता है देश का बजट पास?
सबसे पहले देश के वित्त मंत्री 1 फरवरी को लोक सभा में बजट पेश करते हैं. 1 फरवरी को बजट पेश करने का मकसद ये होता है कि आने वाले वित्त वर्ष की शुरआत, यानी 1 अप्रैल तक, अगर बजट में कोई बदलाव करने हो तो वो आसानी से हो जाए. बजट के स्पीच के खत्म होते ही बजट को राज्य सभा में पेश किया जाता हैं. राज्य सभा बजट को सिर्फ डिसकस ही कर सकती है, राज्य सभा को बजट में न तो बदलाव लाने का अधिकार है और न ही वोट देने का.
बजट पेश होने के बाद दोनों सदनों में दो-तीन दिन का डिस्कशन होता है. उसके बाद दोनों ही सदन दो से तीन हफ़्तों के लिए अड्जर्न कर दिए जाते हैं. इस समय में 24 डिपार्टमेंटल स्टैंडिंग कमिटीयों को बजट पर डिस्कशन करने का मौका मिलता हैं. और वे ये चेक करके रिपोर्ट बनाते है कि बजट में कहीं कोई गलती तो नहीं है.
इसके बाद बजट को हर मिनिस्ट्री में पेश किया जाता है और हर मिनिस्ट्री से अलग-अलग वोट लिया जाता हैं. बजट में कुल मिलाकर 109 डिमांड होती हैं, जिसमें से 103 सिविल एक्सपेंडिचर और 6 डिमांड डिफेन्स के होते हैं. रेलवे बजट में 32 डिमांड होते हैं. हर एक डिमांड के लिए लोक सभा में अलग से वोटिंग की जाती हैं. इस समय लोक सभा इन डिमांड पर डिस्कशन भी कर सकते हैं. डिमांड में जो पैसा अल्लोकेट हुआ है, उसको कम तो कर सकते है लेकिन बढ़ा नहीं सकते.
इसके बाद बजट में पेश किए गए अप्प्रोप्रिएशन बिल को पास किआ जाता हैं. इस बिल में किसी भी सदन से कोई भी बदलाव नहीं किए जा सकते हैं.
अंत में, बजट के फाइनेंस बिल को पास करना होता हैं. भारत के संविधान के अनुसार, 75 दिन के अंदर फाइनेंस बिल को पास हो जाना चाहिए. इस बिल में लोक सभा अमेंडमेंट कर सकती हैं.
इस तरह भारत का बजट संसद में पास हो जाता है, और आने वाले वित्त वर्ष की कर दिया जाता हैं.
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