Budget 2023: ₹5 लाख हो बेसिक इनकम टैक्स स्लैब, मिडिल क्लास टैक्सपेयर्स को मिलेगी बड़ी राहत- एक्सपर्ट
Budget 2023: एक्सपर्ट मानते हैं कि ब्याज दरों में बढ़ोतरी से इनकम टैक्सपेयर्स पर EMIs का बोझ बढ़ा है. महंगाई से उनकी बचत भी कम हुई है. ऐसे में उन्हें राहत देने की जरूरत है. टैक्स पेयर्स को राहत देने के लिए बेसिक इनकम टैक्स स्लैब और सबसे ऊपर के स्लैब में बढ़ोतरी की जानी चाहिए.
Budget 2023 Expectations: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आगामी 1 फरवरी को बजट 2023 पेश करने वाली हैं. नॉर्थ ब्लॉक में इसकी तैयारियां जोरों पर चल रही हैं. महंगाई की मार और महंगे कर्ज के चलते आम टैक्सपेयर्स की जेब पर बोझ बढ़ा है. ऐसे समय में इनकम टैक्सपेयर्स को इस बाजार बजट से राहत की उम्मीद है. वित्त मंत्री यह राहत टैक्स स्लैब में बदलाव या टैक्स रेट में कमी समेत अन्य दूसरे तरीकों से दे सकती हैं. एक्सपर्ट मानते हैं कि ब्याज दरों में बढ़ोतरी से इनकम टैक्सपेयर्स पर EMIs का बोझ बढ़ा है. महंगाई से उनकी बचत भी कम हुई है. ऐसे में उन्हें राहत देने की जरूरत है. टैक्स पेयर्स को राहत देने के लिए बेसिक इनकम टैक्स स्लैब और सबसे ऊपर के स्लैब में बढ़ोतरी की जानी चाहिए.
₹5 लाख हो बेसिक इनकम टैक्स स्लैब
द इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (ICAI) के पूर्व प्रेसिडेंट सीए वेद जैन का कहना है कि बेसिक इनकम टैक्स स्लैब को बढ़कार 5 लाख रुपये करने की जरूरत है. जबकि, सबसे ऊपर के टैक्स स्लैब को बढ़ाकर 20 लाख रुपये करना चाहिए. साल 2014 के बाद से इंडियन इकोनॉमी में काफी तेजी से बढ़ी है. सेंसेक्स और निफ्टी में कई गुना का उछाल आया है. टैक्स कलेक्शन भी बढ़ा है. यहां तक की इस अवधि में खपत में भी इजाफा हुआ है.
उनका कहना है, हालांकि, इस दौरान सरकार ने टैक्स स्लैब्स में कोई बदलाव नहीं किया है. 2014 में भी बेसिक टैक्स स्लैब 2.5 लाख और सबसे ऊपरी स्लैब 10 लाख रुपये था. इन दोनों स्लैब में अभी तक कोई बदलाव नहीं हुआ है. सरकार का फोकस इस दौरान इंडियन इकोनॉमी का टैक्स बेस बढ़ाने पर रहा. यानी, टैक्स रिटर्न फाइल करने वाले लोगों की संख्या बढ़ाने पर जोर रहा. इसलिए सरकार ने सबसे शुरुआती टैक्स स्लैब नहीं बढ़ाया.
मिडिल क्लास टैक्सपेयर्स को राहत देने की जरूरत
सीए वेद जैन का कहना है कि फिलहाल मिडिल-क्लास टैक्सपेयर कई तरह की चुनौतियों से जूझ रहा है. महंगाई उनकी बचत को खा रही है. महंगाई को काबू में करने के लिए RBI ने एक के बाद एक लगातार रेपो रेट में बढ़ोतरी की. जिसके चलते होम लोन और अन्य दूसरे लोन के लिए उनकी EMIs बढ़ गई. इसके अलावा, तेल की उंची कीमतों का उनके घरेलू बजट पर असर हुआ है. टैक्सपेयर्स की इन तमाम दिक्कतों को देखते हुए अब सरकार को टैक्स स्लैब में बढ़ोतरी कर कुछ राहत देना चाहिए.
उनका कहना है कि स्लैब में बदलाव से टैक्सपेयर का जो टैक्स बचेगा और उससे कंजम्प्शन बढ़ेगा. साथ ही इकोनॉमी में निवेश में ज्यादा होगा. इससे देेश की ग्रोथ को रफ्तार मिलने में मदद मिलेगी.
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