सरकार पूरे देश को एक तय बजट के हिसाब से कैसे चलाती है, इसको लेकर कई लोग अभी भी उलझन में रहते हैं. जानकारों के मुताबिक यह ठीक उसी तरह काम करता है जैसे आप अपने घर को एक तय बजट में चलाते हैं. देश के बजट को हम यहां 1 रुपये के माध्यम से समझने की कोशिश करते हैं. इसमें हम सरकार की कमाई और होने वाले खर्च को बेहतर ढंग से समझ सकते हैं. सरकारी बजट में सरकार की कमाई और खर्च का हिसाब-किताब होता है. सरकार की सबसे अधिक आमदनी कॉर्पोरेट टैक्स और जीएसटी के माध्यम से होती है. 

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सरकार के पास पैसा आता कहां से है

आपके मन में यह सवाल उठते होंगे कि सरकार को आखिर किन माध्यमों से आमदनी होती है. इसे हम एक रुपये में समझते हैं. सरकार की आमदनी सबसे अधिक कॉर्पोरेट टैक्स और जीएसटी से होती है. अगर एक रुपये की कमाई में इसका हिस्सा समझना हो तो यह 21 पैसे बैठता है. इसी तरह उधार और अन्य माध्यमों से 20 पैसे, जीएसटी और अन्य टैक्स से 19 पैसे, इनकम टैक्स से 16 पैसे, नॉन टैक्स रेवेन्यू से 9 पैसे, यूनियन एक्साइट ड्यूटी से 8 पैसे, कस्टम्स से 4 पैसे और नॉन डेट कैपिटल रिसिप्ट से 3 पैसे की कमाई होती है.

(फोटो साभार - पीआईबी)

किन मदों में होता है खर्च

आमदनी के बाद सरकार का खर्च भी कई मदों में होता है.यह भी अलग-अलग मदों में किया जाता है. पीआईबी द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, केंद्र सरकार का सबसे अधिक खर्च राज्यों को टैक्स और अन्य ड्यूटी का हिस्सा देने में जाता है. 1 रुपये में यह करीब 23 पैसे बैठता है. इसी तरह ब्याज चुकाने में 18 पैसे, सेंट्रल सेक्टर स्कीम में 13 पैसे, केंद्र द्वारा प्रायोजित योजनाओं में 9 पैसे, रक्षा बजट में 9 पैसे, अन्य खर्च में 8 पैसे, सब्सिडी में 8 पैसे, फाइनेंस कमीशन और अन्य ट्रांसफर में 7 पैसे और पेंशन देने में 5 पैसे खर्च होते हैं.