वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज संसद में आज बजट पेश करने के दौरान टैक्स-फ्री बॉन्ड की पेशकश कर सकती हैं. कारोबारियों को उम्मीद है कि इंफ्रास्ट्रक्चर में खर्च बढ़ाने और राजकोषीय घाटे को नियंत्रण में रखने के लिए ऐसा किया जा सकता है. इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए लॉन्ग टर्म फाइनेंसिंग की जरूरत होती है. इसके लिए 10-15 साल का निवेश करना पड़ता है. ऐसे में सरकार बजट में लॉन्ग टर्म के लिए टैक्स फ्री बॉन्ड की पेशकश कर सकती है.

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इंफ्रा प्रोजेक्ट में निजी क्षेत्र द्वारा निवेश की एक सीमा है और सरकार इस समय राजकोषीय दबाव का सामना कर रही है, जैसे में आम निवेशकों से पैसा जुटाने का तरीका आकर्षक लग रहा है, जहां निवेशकों को टैक्स में राहत दी जाएगी. पिछले साल कई सरकारी कंपनियों ने सरकारी बॉन्ड बेचकर करीब 65000 रुपये जुटाए थे. इनमें रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉरपोरेशन, हाउसिंह एंड अर्बन डेवलपमेंट कॉरपोरेशन, नाबार्ड और पावर फिनांस कॉरपोरेशन जैसी कंपनियां शामिल हैं.

इन बॉन्ड पर जारीकर्ता की तरफ से सरकार ब्याज चुकाती है. इनका मुख्य मकसद राजकोषीय घाटे को काबू में रखना होता है. ये उधारी सरकार की जगह उन कंपनियों के खातों में रहती है.

मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास पर बहुत तेजी से काम हुआ. माना जा रहा है कि दूसरे कार्यकाल का आगाज भी इसी तेजी के साथ होगा. ऐसे में राजकोषीष घाटे को काबू में रखकर पैसे जुटाने के लिए टैक्स-फ्री इंफ्रा बॉन्ड का विकल्प अपनाया जा सकता है.