Online Shopping Dark Pattern: क्या आपके साथ भी कभी ऐसा हुआ है कि आप किसी वेबसाइट पर गए, लेकिन तब तक आगे नहीं बढ़ पा रहे जब तक आप अपनी क्रेडिट कार्ड की डीटेल नही भरते? या फिर ऐसा हुआ हो कि जब सामान या सर्विस ऑर्डर की थी उसका दाम कम था लेकिन जब फाइनल बिल बना तब दाम कहीं गुना बढ़कर दिखा या जो प्रोडक्ट या सर्विस नहीं खरीदी थी वो भी बिल में बिना बताए जोड़कर आई. सेल के लिये अपनाये गये इस तरह के हथकंडों को Dark Pattern कहते हैं. इसकी परिभाषा की बात करें तो डार्क पैटर्न ऑनलाइन ऐसे डिज़ाइन टूल्स होते हैं जो वेबसाइट पर आने वालों को जानबूझकर या गुमराह करके जबरदस्ती विकल्प चुनवाते हैं. यह डार्क पैटर्न भ्रामक रूप से वेबसाइट पर ऑप्शन या बटन के रूप में होते हैं जिन्हें अक्सर एक्ज़िट करना मुश्किल होता है. 

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Consumer Affairs Ministry ने ASCI यानी कि Advertising Standard Council of India के साथ मिलकर E-commerce प्लेटफॉर्म्स पर अक्सर उपभोक्ता को गुमराह करने वाले ऐसे डार्क पैटर्न की पहचान की है और दिग्गज ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स को सेल्फ रेगुलेशन से ऐसे तौर-तरीकों पर रोक लगाने को कहा है. जल्द ही सरकार भी डार्क पैटर्न को रोकने के लिये फ़्रेमवर्क लेकर आएगी.

कौन से Dark Pattern के हथकंडे अपनाती हैं कंपनियां?

ASCI और Consumer Affair Ministry ने Amazon और Flipkart जैसे कई ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर कुछ ऐसे डार्क पैटर्न की पहचान की है, जो कुछ ऐसे काम करते हैं-

Urgency: उपभोक्ता के दिमाग में गलत अर्जेंसी पैदा करते हुए दिखाना कि इस दाम पर चंद ही प्रॉडक्ट बचे हैं या अभी टिकट बुक नहीं किया तो डिस्काउंट बाद में नहीं मिलेगा.

Basket Sneaking: उपभोक्ता की मर्जी के बिना उसे प्रोडक्ट या सर्विस बेचना जैसे कि कई वेबसाइट ट्रैवल इंश्योरेंस का बॉक्स बिना पूछे टिक रखते हैं और फाइनल बिल में जोड़ते हैं.

Confirm Shaming: बहुत बार वेबसाइट एक्जिट करना मुश्किल होता है और बार-बार स्क्रीन पर मैसेज आता है जैसे कि "Are you sure you want to exit, many people are eying this product."

Forced Action: उपभोक्ता के ज़बरदस्ती सर्विस या प्रोडक्ट क्लिक करने को मजबूर करना और तब तक वेबसाइट या अकाउंट का एक्सेस नहीं देना जब तक वो सब्सक्रिप्शन या प्रोडक्ट को चेक नहीं करता है.

Nagging: इसका मतलब यह कि बार-बार यूज़र से एक ही चीज़ तब तक पूछते रहना और विंडो सामने से न हटाना, जब तक वो थककर सर्विस या प्रॉडक्ट खरीद न ले. यहां यह nagging वेबसाइट्स पर अक्सर सब्सक्रिप्शंस को लेकर देखी जाती है.

Subscription Traps: ऐसा बहुत बार देखा गया है कि उपभोक्ता को किसी सब्सक्रिप्शन को एग्जिट करने का ऑप्शन नहीं दी जाता नतीजन वो सब्सक्रिप्शन अपने आप रीन्यू हो जाता है.

Interface Interference: यह हथकंडा भी उपभोक्ता को जबरदस्ती प्रॉडक्ट या सर्विस बेचने के लिये अपनाया जाता है. जब वेबसाइट कोई सर्विस कैंसल करने का बटन नहीं दिखाती या फिर अकाउंट डिलीट करने का ऑप्शन नहीं देती, ये इंटरफेस इंटरफेरेंस होता है.

Bait and Switch: बहुत बार ऐसा होता है जब आप ऑर्डर कुछ करते हैं लेकिन डिलीवर होता है कम क्वालिटी वाला प्रॉडक्ट यह बहाना देते हुए कि जो ऑर्डर किया वो आउट ऑफ़ स्टॉक हो गया इसलिये ऑप्शन में भेजा है. यहां दाम वही होता है, लेकिन क्वॉलिटी खराब हो जाती है. 

Hidden costs: प्रॉडक्ट या सर्विस का प्रचार कम दाम में किया जाता है, लेकिन फाइनल प्राइस कई गुना होता है. ऐसा अक्सर Ola, Uber या हवाई जहाज़ की टिकटों के वक्त देखा जाता है. 

Disguised Ads: अक्सर इस तरह के भ्रामक ऐड्स को खबर, user generated content या सच के तौर पर दिखाया जाता है, ताकि कंज्यूमर को प्रभावित किया जा सके.

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