अप्रैल-नवंबर में राजकोषीय घाटा लक्ष्य का 115 फीसदी पर पहुंचा
सरकार ने चालू वित्त वर्ष के लिये बजट में 6.24 लाख करोड़ रुपये का राजकोषीय घाटा रहने का अनुमानित लक्ष्य रखा है.
चालू वित्त वर्ष की अप्रैल से नवंबर की अवधि में देश का राजकोषीय घाटा पूरे साल के बजटीय लक्ष्य का 114.8 फीसदी हो गया है, जोकि कुल 7.17 लाख करोड़ रुपये है. इसका मुख्य कारण राजस्व की वृद्धि दर कम होना है.
सरकार ने चालू वित्त वर्ष के लिये बजट में 6.24 लाख करोड़ रुपये का राजकोषीय घाटा रहने का अनुमानित लक्ष्य रखा है. सरकार की कुल प्राप्तियों के मुकाबले कुल खर्च अधिक होने पर राजकोषीय घाटा होता है.
चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-नवंबर अवधि में यह 7.16 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया. इससे लोक वित्त की खराब स्थिति का पता चलता है. महालेखा नियंत्रक (सीजीए) द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले वित्त वर्ष के पहले आठ महीनों में राजकोषीय घाटा पूरे वित्त वर्ष के लक्ष्य का 112 फीसदी रहा था.
चालू वित्त वर्ष में नवंबर तक सरकार का कुल खर्च 16.13 लाख करोड़ रुपये (बजटीय अनुमान का 66.1 फीसदी) रहा, जबकि कुल प्राप्ति 8.97 लाख करोड़ रुपये (बजटीय अनुमान का 49.3 फीसदी) रहा, जबकि वित्त वर्ष 2017-18 में समान अवधि में कुल प्राप्ति बजटीय अनुमान का 54.2 फीसदी था.
सरकार ने चालू वित्त वर्ष के आम बजट में राजकोषीय घाटा उसके सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 3.3 प्रतिशत के दायरे में रखने का लक्ष्य तय किया है. पिछले वित्त वर्ष में यह जीडीपी का 3.53 प्रतिशत रहा था.
महालेखा नियंत्रक द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2018-19 के दौरान अप्रैल से नवंबर तक कुल राजस्व संग्रह 8.70 लाख करोड़ रुपये रहा जो कि पूरे वर्ष के बजट अनुमान का 50.40 प्रतिशत है. पिछले वित्त वर्ष में इसी अवधि में राजस्व संग्रह बजट आकलन का 53.10 प्रतिशत रहा था.
सरकार ने चालू वित्त वर्ष के दौरान कुल 17.25 लाख करोड़ रुपये राजस्व संग्रह का बजट लक्ष्य रखा है.
आंकड़ों के अनुसार, नवंबर अंत तक सरकार का कुल खर्च 16.13 लाख करोड़ रुपये यानी बजट अनुमान का 66.10 प्रतिशत रहा है. हालांकि, प्रतिशत में पिछले साल इस दौरान खर्च अधिक रहा था.
(इनपुट एजेंसी से)