अनिल सिंघवी की सरकार को 5 काम की टिप्स, एक झटके में इकोनॉमी में आएगा सुधार
दुनिया में इस वक्त सबसे बड़ी समस्या कोरोना वायरस की है. कोरोना वायरस को जब तक कंट्रोल नहीं किया जाता तब तक दुनिया की इकोनॉमी को संभालने के लिए दूसरे प्रयास होने चाहिए.
कोरोना वायरस के बढ़ते खतरे से दुनियाभर की इकोनॉमी को झटका लगा है. दुनिया में इस वक्त सबसे बड़ी समस्या कोरोना वायरस की है. कोरोना वायरस को जब तक कंट्रोल नहीं किया जाता तब तक दुनिया की इकोनॉमी को संभालने के लिए दूसरे प्रयास होने चाहिए. भारतीय इकोनॉमी को बूस्ट देने के लिए भी सरकार को अलग ढंग से सोचना होगा. लेकिन, इसके लिए सरकार क्या कर सकती है. ज़ी बिज़नेस के मैनेजिंग एडिटर अनिल सिंघवी ने इसके लिए 5 सुझाव दिए हैं. उनका मानना है कि गिरती इकोनॉमी को संभालने के लिए यह सर्जरी का वक्त है. सिर्फ इंजेक्शन से काम नहीं चलेगा.
अनिल सिंघवी के 5 सुझाव
पहला- सेंट्रल बैंक घटाए ब्याज दर
भारतीय इकोनॉमी को बूस्ट देने के लिए सबसे पहले सेंट्रल बैंक को ब्याज दर में बड़ा रेट कट देना होगा. दुनियाभर के सेंट्रल बैंक इस वक्त यही कर रहे हैं. ग्लोबल स्लोडाउन से निपटने के लिए RBI को 0.75 फीसदी-1 फीसदी तक की बड़ी कटौती करनी चाहिए. हालांकि, एग्रेसिव रेट से बॉन्ड मार्केट और करेंसी मार्केट पर बड़ा इम्पैक्ट होगा. लेकिन, यह जरूरी है. हो सकता है विदेशी निवेशकों के लिए डेट इंस्ट्रूमेंट्स उतने आकर्षक न रहें, लेकिन दुनियाभर के रेट के साथ आर्बिट्राज वैसा ही रहेगा. इसके दो फायदे होंगे. पहला- कम ब्याज दर से इकोनॉमी को बूस्ट मिलेगा. दूसरा सरकार का इंट्रस्ट बिल भी कम होगा.
दूसरा- पर्सनल इनकम टैक्स में कटौती
पर्सनल इनकम टैक्स में बड़ी कटौती की जरूरत है. क्योंकि, सरकार ने कॉरपोरेट टैक्स में कटौती की, लेकिन उसका फायदा कुछ नहीं हुआ. अब समझने की जरूरत है कि अगर लोगों के हाथ में पैसा ज्यादा आएगा और टैक्स कम होगा तो फायदा मिलेगा. भले ही सरकार बड़े टैक्स स्लैब वालों को न छूए, लेकिन 20-25 लाख रुपए तक की सालाना आय वालों के लिए बड़ी टैक्स कटौती कीजिए. 5 से 20 लाख तक आय वालों को अगर टैक्स कटौती मिलेगी तो कंजमशन बढ़कर आएगा.
यहां सुनिए अनिल सिंघवी के 5 सुझाव
तीसरा- रियल एस्टेट और ऑटो सेक्टर को पैकेज
इकोनॉमी के लिए अब तक सबसे बड़ी तकलीफ की बात है वो दो सेक्टर्स हैं, जहां से सबसे ज्यादा रोजगार बनते हैं. रियल एस्टेट और ऑटो सेक्टर. लिक्विडिटी की समस्या है, डिमांड नहीं है. घर बन रहे हैं लेकिन बिक नहीं रहे हैं. होम लोन पर ब्याज काफी ज्यादा है. होम लोन लेकर चुकाने में मुश्किल है, रोजगार कम है. दोनों सेक्टर को बूस्ट देने के लिए स्टिमुलस पैकेज लाना चाहिए. इससे लोग ज्यादा से ज्यादा प्रॉपर्टी खरीदने पर विचार करेंगे. ज्यादा कारों का बिक्री होगी. सबसे ज्यादा लिक्विडिटी की प्रॉबलम अगर कहीं है तो रियल एस्टेट में है. अगर रियल एस्टेट सेक्टर में बूम नहीं आएगा तो देश की इकोनॉमी पटरी पर नहीं आएगी.
चौथा- इनकम डिस्क्लोजर स्कीम से बिजनेस में लिक्विडिटी लाई जाए
इनकम डिस्क्लोजर स्कीम लाने की जरूरत है. जैसे VDSI (Voluntary Disclosure of Income Scheme) आया था. हालांकि, सरकार सुप्रीम कोर्ट में पहले ही हलफनामा दे चुकी है कि आगे ऐसी कोई स्कीम नहीं लाएंगे. हालांकि, इस स्कीम को कुछ इस तरह से बनाना चाहिए कि सुप्रीम कोर्ट में कही बात ठीक रहे. विवाद से विश्वास वाली स्कीम बात रहे. ऐसी स्कीम बनाएं जहां कोई सवाल खड़ा न हो. आपको जो डिक्लेयर करना है कर दीजिए. एक आखिरी मौका देना चाहिए. टैक्स पर पेनाल्टी लगा दीजिए. चाहे गोल्ड हो, प्रॉपर्टी हो या इनकम हो, लोगों को मौका दे दो कि कोई सवाल नहीं किया जाएगा. स्कीम में कुछ ऐसा करें कि इतनी पेनाल्टी लगेगी और वो पेनाल्टी 1, 3, 5 साल में रिफंड हो जाएगी. इससे सरकार के पास पैसा आएगा.
पांचवां- सरकार LTCG हटाए, डिविडेंट टैक्स कम करे
सरकार के पास निवेशकों को खुश करने का इससे बेहतर मौका नहीं मिलेगा. तत्काल प्रभाव से LTCG टैक्स हटा देना चाहिए. अगर इस वक्त LTCG टैक्स हटाएंगे तो जरूर भारतीय निवेशक बाजार में पैसा डालेंगे और पैसा बनाएंगे. कैपिटल मार्केट के प्रति लोगों का भरोसा फिर से लौटेगा. यह सही वक्त है जब LTCG हटाया जाए और लोग सस्ते दामों पर शेयर खरीद पाएं. वहीं डिविडेंड पर भी एक लिमिटेड टैक्स लगाएं. 5-10 लाख वाली डिविडेंड इनकम पर टैक्स कम करना चाहिए. 35 फीसदी टैक्स सही नहीं है.
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अनिल सिंघवी का मानना है कि ये 5 उपाए ऐसे हों जिन पर वित्त मंत्रालय को विचार करना चाहिए. इससे आप तुरन्त प्रभाव से इकोनॉमी को ट्रैक पर लाने को कोशिश कर सकते हैं. ग्लोबल स्लोडाउन का फायदा हिंदुस्तान को लेना चाहिए. क्योंकि, ग्लोबल मार्केट के साथ हम खराब होंगे. लेकिन, कम खराब होंगे. साथ ही जब रिकवरी आएगी तो दूसरे के मुकाबले हम तेजी से रिकवर होंगे.