WTO: विश्व व्यापार संगठन (WTO) का मंत्रिस्तरीय सम्मेलन बेनतीजा रहा. सार्वजनिक खाद्यान्न भंडार का स्थायी समाधान खोजने और मत्स्य पालन सब्सिडी (Fish Farming Subsidy) पर अंकुश लगाने जैसे प्रमुख मुद्दों पर कोई फैसला नहीं हुआ. हालांकि सदस्य देश ई-कॉमर्स ट्रेड पर आयात शुल्क (Import Duty) लगाने को लेकर रोक को और दो साल के लिए बढ़ाने पर सहमत हुए.

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13वें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में कुछ और मामलों में परिणाम प्राप्त करने में सफलता मिली. इसमें सेवाओं के लिए घरेलू विनियमन पर नई व्यवस्था, डब्ल्यूटीओ (WTO) के नये सदस्यों के रूप में कोमोरोस और तिमोर-लेस्ते का औपचारिक रूप से शामिल होना और कम विकसित देशों (LDC) को इसके दर्जे से बाहर निकलने के तीन साल बाद भी एलडीसी का लाभ मिलते रहने की बात शामिल है.

हम पूरी तरह संतुष्ट- गोयल

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल (Piyush Goyal) ने कहा, यह अच्छा नतीजा है और हम पूरी तरह संतुष्ट हैं. उन्होंने कहा कि कई मुद्दों पर चर्चा की दृष्टि से प्रगति जारी है. गोयल ने  से कहा, कई विवादास्पद मुद्दों पर प्रगति हुई है. इन मामलों में कई वर्षों से चर्चा जारी है लेकिन आगे बढ़ना हमेशा निष्कर्ष पर पहुंचने का संकेत होता है. भारत ने खाद्य सुरक्षा के मुद्दे को सफलतापूर्वक आगे बढ़ाया और देश के गरीब किसानों (Farmers) और मछुआरों (Fisherman) के हितों की रक्षा के साथ-साथ अन्य मुद्दों पर बेबाकी से अपनी बातें रखी और रुख पर कायम रहा.

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चार दिनों की व्यस्त बातचीत एक दिन के लिए बढ़ाए जाने के बावजूद, 166 सदस्यीय विश्व व्यापार संगठन (WTO) खाद्य सुरक्षा (Food Security) मुद्दे को हल करने के लिए एक आम सहमति पर नहीं पहुंच पाया. यह मांग भारत (India) ने प्रमुखता से उठाई क्योंकि यह 80 करोड़ लोगों की आजीविका के लिहाज से महत्वपूर्ण है. साथ ही अत्यधिक और क्षमता से अधिक मछली पकड़ने को बढ़ावा देने वाली सब्सिडी पर अंकुश लगाने के मामले में भी कोई सहमति नहीं बन सकी.

ऑस्ट्रेलिया और ब्राजील जैसे देशों के केर्न्स समूह ने दावा किया है कि सार्वजनिक भंडार व्यवस्था बाजार को नुकसान पहुंचा रही है और कोई निर्यात प्रतिबंध नहीं होना चाहिए. जापान और सिंगापुर जैसे खाद्य आयातक देश कृषि नीतियों में विश्वसनीयत पर जोर दे रहे हैं. दूसरी ओर, अमेरिका अपनी कृषि वस्तुओं के लिए बाजार पहुंच चाहता है और यूरोपीय संघ सब्सिडी में कटौती चाहता है.

मछली पकड़ने पर बंद हो सब्सिडी

भारत खाद्य सुरक्षा कार्यक्रमों के लिए अनाज के सार्वजनिक भंडार के मुद्दे के स्थायी समाधान के लिए दबाव डाल रहा है. साथ ही उसने सुदूर जल क्षेत्र में मछली पकड़ने में लगे विकसित देशों से 25 साल के लिए किसी भी प्रकार की सब्सिडी देना बंद करने को कहा है. विशेषज्ञों का कहना है कि अमीर देशों के मछुआरों और विकासशील देशों के मछुआरों के बीच कोई तुलना नहीं की जानी चाहिए. विकसित देशों में से एक में मत्स्य सब्सिडी प्रति मछुआरा 80,000 डॉलर से अधिक है जबकि भारत में यह प्रति मछुआरा लगभग 38 डॉलर है.

भारत और दक्षिण अफ्रीका ने निवेश सुविधा पर चीन के नेतृत्व वाले एक प्रस्ताव को भी खारिज किया. दोनों देशों ने कहा कि यह एजेंडा डब्ल्यूटीओ को मिली जिम्मेदारी से बाहर है. भारत ने औद्योगिक नीति पर यूरोपीय संघ के एक प्रस्ताव को भी रोक दिया.

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अनाज के सार्वजनिक भंडार (PSH) कार्यक्रम एक नीतिगत कदम है. इसके तहत सरकार किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर चावल और गेहूं जैसी फसलें खरीदती है और उसका भंडारण कर विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के तहत गरीबों को उसका वितरण करती है. भारत स्थायी समाधान तहत खाद्य सब्सिडी सीमा की गणना के लिए फॉर्मूले में संशोधन जैसे उपाय करने को कहा है.