Tomato Price: जानिए कैसे किसान का ₹2-3 वाला टमाटर आपके किचन तक आते-आते हो जाता है ₹100 का
किसान से खरीदे जा रहे जिस टमाटर के लिए महज 2-3 रुपये किलो का भाव दिया जाता है, वह टमाटर आप तक पहुंचते-पहुंचते 100 रुपये का कैसे (How tomato price increase a lot) हो जाता है. आइए जानते हैं आप तक पहुंचते-पहुंचते टमाटर पर क्या-क्या चार्ज (Charges on Tomato) लगते हैं.
करीब महीने भर पहले की ही बात है, नासिक में किसानों ने बहुत सारा टमाटर सड़क पर फेंक दिया था. वजह थी दाम ना मिलना. किसानों को उनके टमाटर के लिए 2-3 रुपये प्रति किलो का भाव (Tomato Price) मिल रहा था. ये भाव इतना कम था कि किसानों की लागत भी नहीं निकल रही थी और उन्हें सारा टमाटर (Tomato) यूं ही फेंकने का फैसला किया. वहीं एक आज का दिन है कि टमाटर की कीमत करीब 100 रुपये हो गई है. अब सवाल ये उठता है कि किसान से खरीदे जा रहे जिस टमाटर के लिए महज 2-3 रुपये किलो का भाव दिया जा रहा था, वह टमाटर आप तक पहुंचते-पहुंचते 100 रुपये का कैसे (How tomato price increase a lot) हो जाता है. आइए जानते हैं आप तक पहुंचते-पहुंचते टमाटर पर क्या-क्या चार्ज (Charges on Tomato) लगते हैं.
ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट
किसी भी सब्जी के महंगे होने में एक बड़ा रोल होता है ट्रांसपोर्टेशन का. अगर नासिक से दिल्ली तक सब्जी आती है, तो उस पर यहां तक लाने का ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट लगता है, जिसकी वजह से उसकी कीमत बढ़ जाती है. नासिक से दिल्ली भेजने से भी पहले उसे लोकल ट्रांसपोर्टेशन के जरिए मालगाड़ी तक पहुंचाना होता है, उसका खर्चा भी टमाटर की कॉस्ट बढ़ाता है. वहीं दिल्ली या बेंगलुरू या किसी दूसरे शहर में रेलवे स्टेशन से मंडी तक ले जाने में भी एक ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट लगती है. यानी इस ट्रांसपोर्टेशन में बहुत सारा खर्च होता है, जो टमाटर की कीमत को कुछ हद तक बढ़ा देता है.
मंडी में कमीशन और चार्ज
जब किसान से टमाटर को मंडी का कोई होल सेलर खरीदता है तो उसमें वह अपना कमीशन लेता है. मंडी में सब्जी बेचने पर किसान को मंडी शुल्क भी चुकाना पड़ता है. वहीं जो होल सेलर टमाटर खरीदता है, वह भी अपना मुनाफा जोड़ लेता है, उसके बाद वह टमाटर को आगे भेजता है. अगर नासिक से दिल्ली का ही उदाहरण लें तो नासिक से मालगाड़ी में लोन होने से पहले ही वह टमाटर बहुत महंगा हो जाता है. उस टमाटर पर मंडी शुल्क, ट्रेडर का कमीशन, होलसेलर का मुनाफा और यहां तक कि ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट लग चुका होता है.
वहीं जब ये टमाटर दिल्ली के रेलवे स्टेशन पर पहुंचता है तो वहां से मंडी तक जाने में ट्रांसपोर्टेशन लगता है. उसके बाद मंडी शुल्क, ट्रेडर का कमीशन लगता है. वहां से कई बार बड़े रिटेलर सीधे खरीद लेते हैं तो वहीं छोटे रिटेलर बड़े रिटेलर से टमाटर लेते हैं. अब ये लोग आपको टमाटर बेचते हैं तो उस पर वह भी अपना मुनाफा जोड़ते हैं और फिर बेचते हैं. आम तौर पर रिटेलर टमाटर जैसी खराब होने वाली सब्जियों में 30-40 फीसदी का मुनाफा तो जोड़ता ही है.
डिमांड-सप्लाई का भी है बड़ा रोल
टमाटर के महंगे होने के पीछे सबसे बड़ी वजह होती है डिमांड बढ़ जाना और सप्लाई घट जाना. ऐसे में टमाटर की कीमत अचानक से बढ़ना तय समझिए. सप्लाई घटने के पीछे कई वजहें हो सकती हैं, जिनमें मौसम एक बड़ी वजह होता है.
कालाबाजारी भी होती है
वैसे तो टमाटर जल्दी खराब होने वाली चीज है, लेकिन फिर भी कुछ हद तक इसकी कालाबाजारी होती है. कई जगह जानबूझ कर टमाटर की कीमत को बढ़ाया जाता है, क्योंकि या तो दूसरी जगहों पर वह महंगा हो रहा होता है या फिर महंगा होने की आशंका होती है. कई बार तो अगर रिटेलर्स को खबरों में सुनने को मिल जाता है कि टमाटर महंगा हो रहा है या होने वाला है तो वह कीमतें बढ़ा देते हैं. ये तमाम वजहें हैं जो टमाटर की कीमत को बढ़ाने का काम करती हैं.