Fish Farming: मछली पालन रोजगार और कमाई का एक बढ़िया जरिया बनकर उभरा है. मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार के साथ राज्य सरकारें भी कई उठाएं हैं. इसलिए, अब नौकरीपेशा लोग भी नौकरी छोड़कर इसमें हाथ आजमा रहे हैं. जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले के खंगुंड वेरीनाग गांव के हमीदुल्लाह खांडे भी ऐसे ही एक शख्स हैं, जिन्होंने मछली पालन (Fisheries) के लिए अपनी नौकरी छोड़ दी. अब वो इससे लाखों में कमाई कर रहे हैं.

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हमीदुल्लाह खांडे ने अपने करियर की शुरुआत 2011 में एक प्राइवेट स्कूल के टीचर के रूप में की थी. हालांकि, इससे उन्हें परिवार की जरूरतों को पूरा करने के लिए बहुत कम आय प्राप्त हो रही थी. एक बार उन्होंने मत्स्य विभाग द्वारा आयोजित जागरूकता शिविरों में भाग लिया. इसने उन्हें मछली पालन के लिए प्रेरित किया.

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मछली पालन के लिए छोड़ी नौकरी

नेशनल फिशरीज डेवलपमेंट बोर्ड के मुताबिक, हमीदुल्लाह ने टीचर की नौकरी छोड़ मछली पालन का काम शुरू किया. उन्होंने वित्त वर्ष 2009-10 के दौरान राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY) के तहत 6000 फिंगरलिंग्स के लिए दो ट्राउट पालन (Trout Rearing) यूनिट लगाई. वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान 8 टैंक बनाए. इस योजना के तहत, उन्हें 30 लाख रुपये की कुल प्रोजेक्ट कॉस्ट के साथ ₹4.20 लाख की वित्तीय सहायता मिली.

इतने सारे प्रयोगों और प्रयासों के बाद वर्ष 2021 के दौरान उन्होंने 50,000 फिंगरलिंग्स की क्षमता वाली एक हैचरी यूनिट बनाई, जो दूसरों को भी रोजगार दे रही है. बीज उत्पादन में बढ़ोतरी के साथ वह प्रति माह 400 किलोग्राम ट्राउट बेच रहे हैं.

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एक साल में कमाए करीब 18 लाख रुपये

मछली पालन से वह और उनका परिवार पहले से बेहतर जिंदगी जी रहे हैं. एक साल में उन्होंने 3.31 टन मछली का उत्पादन किया और इसे बेचकर उन्हें 17.5 लाख रुपये की कमाई हुई. वह बीज उत्पादन के बारे में और वैज्ञानिक ज्ञान हासिल करने की योजना बना रहा है और बीज को राष्ट्रीय स्तर पर निर्यात करना चाहता है. उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि देश के युवा आगे आएं और अलग-अलग ट्रेनिंग प्रोग्राम और शिविरों में भाग लेकर मत्स्य पालन में शामिल हों, जो भारत सरकार उनके उत्थान के लिए आयोजित कर रही है.

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