Trout Farming: देश में इस समय मछली पालन का कारोबार काफी फल-फूल रहा है. किसानों का फोकस मछली पालन की तरफ बढ़ा है क्योंकि किसान इससे बढ़िया मुनाफा कमा रहे हैं. उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के भटवारी गांव के निवासी जयपाल सिंह नेगी 20 साल से सेबी की खेती (Apple Farming) कर रहे थे, लेकिन इसस उनके परिवार का गुजारा नहीं हो पा रहा था. इसलिए, उन्होंने सरकारी नौकरी पाने की कोशिश करने के बारे में सोचा. इस बीच उन्होंने स्टेट फिशरीज डिपार्टमेंट का दौरा किया और ट्राउट फार्मिंग (Trout Farming) के बारे में जाना. मत्स्य विभाग ने उनको सेब की खेती के साथ-साथ ट्राउट फार्मिंग शुरू करना सुझाव दिया, ताकि उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो सके और इनोवेटिव काम कर सकें.

ऐसे हुई शुरुआत

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नेशनल फिशरीज डेवलमेंट बोर्ड के मुताबिक, नेगी ने राज्य मत्स्य विभाग के अधिकारियों के मार्गदर्सन और समर्थन से वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान ब्लू रिवॉल्यूशन स्कीम (Blue Revolution Scheme) के तहत ट्राउट फार्मिंग (Trout Farming) प्रोजेक्ट के लिए आवेदन किया.

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इस योजना के तहत, उन्होंने 9 लाख रुपये की कुल पूंजी लागत के साथ 50 क्यूबिक मीटर षमता वाली ट्राउट रेसवे की 3 यूनिट्स का निर्माण किया. 3 यूनिट्स के लिए ऑपरेशनल कॉस्ट 7.50 लाख रुपये थी. सरकार ने 40% सब्सिडी प्रदान की, मनरेगा के माध्यम से अन्य 2 लाख रुपये मिले और बाकी नेगी ने खुद निवेश किया.

नेगी एक समय में एक यूनिट का उत्पादन लेते है और हार्वेस्टिंग के ठीक बाद उसी यूनिट को मछली के बीज के साथ स्टॉक करते हैं. इस तरह वह साल भर उत्पादन बनाए रखने में सक्षम है. ट्राउट फार्मिंग (Trout Farming) कर जिले के उपलब्ध जल संसाधन व बंजर भूमि का उपयोग करते हैं. हालांकि, उसके पास अन्य यूनिट्स बनाने के लिए अधिक जमीन और पानी उपलब्ध हैं, इसलिए उसके लिए बड़े पैमाने पर ट्राउट फार्मिंग विकसित करने की उच्च क्षमता है.

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सालाना 8 लाख रुपये से ज्यादा की कमाई

नेगी ट्राउट फार्मिंग से अच्छी कमाई कर रहे हैं. वो सालाना 1 से 1.20 टन मछली का उत्पादन करते हैं और इससे सालाना 8 लाख रुपये की कमाई हो जाती है. यानी हर महीने वो 66 हजार रुपये से ज्यादा की आमदनी कर रहे हैं.

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