Success Story: प्राकृतिक खेती आज के समय की जरूरत है. खेतों में केमिकल के बढ़ते इस्तेमाल से जमीन बंजर होती जा रही है. वहीं, इसका असर फसल के साथ लोगों की सेहत पर हो रहा है. इसे देखते हुए महाराष्ट्र के जलगांव जिले के रहने वाले क्रुशीकेश सुनील पाटिल ऑर्गेनिक फार्मिंग (Organic Farming) को प्रमोट करना चाहते थे. इसके लिए उन्होंने अपनी प्राइवेट नौकरी छोड़ दी और बायो-फर्टिलाइजर (Bio-Fertilizer) मैन्युफैक्चरिंग का काम शुरू किया.

बायो-फर्टिलाइजर के फायदे

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बायो-फर्टिलाइजर में केमिकल फ्री होता है. यह प्रकृति द्वारा प्रदान किए गए जीवाणुओं की सहायता से बनाया जाता है. इसमें मौजूद इन जीवाणुओं की सहायता से हवा के नाइट्रोजन को अमोनिया में बदला जा सकता है, जोकि पौधों के वृद्धि में बहुत सहायक होते हैं. इसके इस्तेमाल से खेती की लागत में कमी आती है और किसान का मुनाफा बढ़ता है.

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नौकरी छोड़ 2 महीने की ली ट्रेनिंग

क्रुशीकेश सुनील पाटिल एक प्राइवेट एग्री-कंपनी में काम करते थे. ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने नौकरी छोड़ दी. नौकरी छोड़ने के बाद वो बिजनेस स्किल सीखने के लिए एग्री-क्लिनिक और एग्री-बिजनेस सेंटर योजना के तहत ट्रेनिंग प्रोग्राम में शामिल हो गए. वो फॉरेस्ट्री साइंस में स्नातक हैं और जलगांव जिले से हैं. क्रुशीकेश कृष्णा वैली एडवांस्ड एग्रीकल्चर फाउंडेशन, जलगांव से प्रशिक्षित कृषिउद्यमी हैं.

Bio-fertilizer मैन्युफैक्चरिंग का बिजनेस

ट्रेनिंग पूरी करने के बाद पटेल ने पीके ऑर्गेनिक एंड फर्टिलाइजर की शुरुआत की. आज वो 18 बायो-फर्टिलाइजर प्रोडक्ट्स का उत्पादन कर रहे हैं. उन्होंने अपने R&D में तीन स्किल्ड लोगों की भर्ती की है और वो बायो-फर्टिलाइजर का उत्पादन कर रहे हैं. मार्केटिंग के लिए पटेल ने अपने बिजनेस को थोक विक्रेताओं और खुदरा विक्रेताओं के साथ जोड़ा. वो किसान के खेत पर भी जाता हैं और सीधा सौदा करते हैं. 

सालाना 25 लाख रुपये का कारोबार

वो केला, अंगूर, कपास, गन्ना और सब्जियों की खेती के लिए काम करते हैं. उनका कहना है कि उनके उत्पाद सभी प्रकार की फसलों के लिए मिट्टी की सभी समस्याओं का समाधान कर सकते हैं. पीके ऑर्गेनिक एंड फर्टिलाइजर का सालाना टर्नओवर 25 लाख रुपये से ज्यादा है. वो 50 गावों के 250 से ज्यादा किसानों को अपनी सर्विस दे रहे हैं.