Lily Farming: भारत में सजावटी फूलों (Ornamental Floriculture) की मांग बढ़ी है. देश में फूलों की खेती करने वाले किसानों (Farmers) के लिए सजावटी फूल एक बेहतर जरिया बनकर उभरा है. इससे किसानों को जमकर कमाई भी हो रही है. महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले के कुडाल तालुका के सहदेव आत्माराम तावड़े लिली की खेती (Lily Cultivation) कर मोटा मुनाफा कमा रहे हैं. 

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तावड़े के मुताबिक, लिली (Lily) सजावटी फूल है और यह कई रंगों का होता है. लिली को सजावटी, औषधीय और खाद्य पौधों के रूप में उगाया गया है. तावड़े ने कहा, मैं दो साल से सफेद रंग की स्पाइडर लिली की खेती में कर रहा था और सालाना 4 से 5 लाख रुपये का नेट प्रॉफिट पा रहा था. वह एग्रीम में डिप्लोमा धारक हैं और महाराष्ट्र में सिंधुदुर्ग जिले के अकेरी गांव से प्रशिक्षित कृषिउद्यमी हैं.

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60 दिन की ली ट्रेनिंग

वह एग्रीम में डिप्लोमा होल्डर हैं और महाराष्ट्र में सिंधुदुर्ग जिले के अकेरी गांव से प्रशिक्षित कृषिउद्यमी हैं. बड़े स्तर पर लिली की खेती शुरू करने से पहले उन्होंने कृष्णा वैली एडवांस्ड एग्रीकल्चरल फाउंडेशन (KVAAF), ओरोस, सिंधुदुर्ग में एसी और एबीसी योजना के तहत ट्रेनिंग ली. ट्रेनिंग के दौरान उन्होंने सजावटी फूलों की खेती यूनिट का दौरा किया था. उन्होंने पाया कि लिली के फूल साल भर खिल सकते हैं, इसलिए मैंने उसी में बिजनेस शुरू करने का विकल्प चुना.

बैंक से 10 लाख रुपये का लिया लोन

लिली की खेती शुरू करने की कुल लागत 10 लाख रुपये थी. फूल प्रोसेसिंग यूनिट लगाने के लिए बैंक ऑफ इंडिया, धारा ब्रांच, सिंधुदुर्ग से लोन पास हो गया. इस फंड से उन्होंने 'तावड़े लिली फार्म' (Tawade Lily Farm) नाम से लिली प्लांटेशन और मार्केटिंग यूनिट की स्थापना की. 

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मैनेज के मुताबिक, तावड़े ने 2 एकड़ भूमि में लिली के पौधे की खेती के लिए खेत विकसित किया. उनका कहना है कि  प्रतिदिन 10-15 किग्रा फूलों की तुड़ाई की जाती है और स्थानीय बाजार में बेचा जाता है. हरेक मौसम में भाव में ऊपर-नीचे रहता है लेकिन उन्हें औसतन 80-140 रुपये प्रति किग्रा दाम मिल जाता है.

सालाना 40 लाख रुपये का कारोबार

उन्होंने फूलों की खेती और बागवानी बागान पर 8 गांवों के 150 से अधिक किसानों को सलाह दे चुके हैं. नाबार्ड ने उन्हें 36 फीसदी सब्सिडी की पेशकश की है. उनके फार्म का सालाना कारोबार 40 लाख रुपये से ज्यादा है.

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