Kantola Cultivation: अच्छी सेहत के लिए अच्छा खान-पान जरूरी है. सब्जियों में काफी पोषक तत्व होते हैं, जो शरीर में न्यूट्रिशन की कमी को पूरा करके बीमारियों से दूर रखने में मदद करते हैं. इन्हीं फायदेमंद सब्जियों में से एक सब्जी है कंटोला (Kantola), जो आयुर्वेद की एक ताकतवर औषधि के रूप में जानी जाती है. इसमें मांस से 50 गुना ज्यादा ताकत और प्रोटीन है. इसमें मौजूद फाइटोकेमिकल्स और एंटीऑक्सीडेंट शरीर को अंदर से साफ और स्वस्थ रखने में सहायक है. ऐसे में कंटोला या ककोड़ा की खेती किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है.

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कंटोला (Kantola) की खेती मुख्य रूप से भारत के पर्वतीय क्षेत्रों में की जाती है. देश में इसे कंकोड़ा, कटोला, परोपा या खेख्सा के नाम से भी जाना जाता है. हेल्थ बेनिफिट्स को देखते हुए अब कंटोला की खेती दुनियाभर में शुरू हो गई है.  यह कद्दूवर्गीय कुल का पौधा है, जो भूमिगत कंद द्वारा लगाया जाता है. इसकी बेल धीरे-धीरे बढ़ती है और इसका जीवनकाल 3 से 4 महीने का होता है. कंटोला में छोटे पत्ते और छोटे पीले फूल होते हैं. इसमें छोटे गहरे हरे, गोल फल लगते हैं. इसका फल करेले के समान दिखता है, इसलिए इसे मीठा करेला भी कहते हैं. 

गुणों की खान है कंटोला

कंटोला के काफी फायदे हैं. यह पचने में हल्का होता है और इसमें कैलोरी कम होती है. इसमें अनक रासायनिक यौगिक होते हैं, जो मानव शरीर के फायदेमंद होते हैं. यह ब्लड शुगर लेवल को कम करता है. कंटोल त्वचा को स्वस्थ रखने में मदद करता है. यह आंखों की रोशनी बढ़ाता है. कंटोला कैंसर की आशंकाओं को कम करता है. यह गुर्दे की पथरी को दूर करता है. बवासीर को ठीक करने के लिए कंटोला घरेलू उपाय है. खांसी का इलाज करने में यह मददगार है. 

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बुआई का समय

कंटोला (Kantola) की फसल जायद अथवा खरीफ मौसम में लगाई जाती है. ग्रीष्मकालीन उपज के लिए मैदानी भागों में जनवरी-फरवरी में उगाई जाती है. खरीफ वाली फसल जुलाई-अगस्त में लगाई जाती है. इसे बीज, कंद या कटिंग द्वारा लगाया जाता है. एक एकड़ में बुआई के लिए 1-2 किग्रा बीज की जरूरत होती है.

खेत की तैयारी

कंटोला की खेती के लिए जल निकासी वाली बलुई दोमट मिट्टी, जिसका पी.एच 5.5-6.5 हो, उपयुक्त होती है. 2-3 गहरी जुताई के बाद पाटा चलाना चाहिए. अंतिम जुताई के समय अच्छी सड़ी हुई गोबर खाद 10-15 टन प्रति हेक्टेयर मिट्टी में मिलानी चाहिए. दो मेड़ों के बीच की दूरी 1-2 मीटर और पौधों की दूरी 60-90 सेमी उपयुक्त है. पौधों का सहारा देने की जरूरत होती है. 

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जब कंटोला के फल बड़े साइज के हो जाएं, तब मुलायम अवस्था में एक दिन या 2-3 दिनों के गैप में नियमित तुड़ाई करना फायदेमंद होता है. अच्छी देखभाल करने पर कंटोला की 650 ग्रा प्रति बेल की उपज ली जा सकती है. यह लगभग 5 टन प्रति एकड़ के बराबर है.

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