Business Idea: कृषि में पढ़ाई करने वाले नौजवानों के सामने अब नौकरी का संकट नहीं है. एग्रीकल्चर में डिग्री करने वालों को सरकार ट्रेनिंग देकर एग्रीप्रेन्योर (Agriprenure) बना रही है. खेती-किसानी से जुड़े काम-धंधों को बढ़ावा दिया जा रहा है. मध्य प्रदेश के भूपेंद्र आर्य ने कृषि से 12वीं पास की. 12वीं करने बाद उसने सरकार द्वारा चलाई जा स्कीम में 60 दिन का कोर्स किया और फिर अपना काम शुरू किया. अब वे सालाना 80 लाख रुपये से ज्यादा की कमाई कर रहे हैं.

60 दिन के कोर्स ने बदली किस्मत

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भूपेंद्र ने इंडियन सोसायटी ऑफ एग्री बिजनेस प्रोफेशनल्स, भोपाल से एग्रीप्रेन्योर की ट्रेनिंग ली. ट्रेनिंग लेने के बाद उन्होंने सोचा मसालों की प्रोसेसिंग और ट्रेड हमेशा एक महत्वपूर्ण उद्योग रहा है. मसालों का छोटे पैमाने पर प्रोसेसिंग आर्थिक और सामाजिक रूप से सफल हो सकता है.

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भूपेंद्र का कहना है कि मुख्य बाधा फसल की अपरिपक्व कटाई है. यह आमतौर पर चोरी के डर या किसान को तत्काल पैसे की जरूरत के कारण होता है.  हालांकि, मसालों के पूरी तरह से मैच्योर होने तक इंतजार करने का हर संभव प्रयास किया जाना चाहिए क्योंकि कम गुणवत्ता वाली सामग्री से एक अच्छा मसाला उत्पाद तैयार करना संभव नहीं है.

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80 लाख रुपये का टर्नओवर

मिर्च, हल्दी और धनिया 'महेश्वर मसाला' के ब्रांड के तहत प्रोसेस्ड और बेचे जाने वाले प्रमुख मसाले हैं. उसने अपने बिजनेस को मध्य प्रदेश के पांच जिलों में 500 खुदरा दुकानों के साथ जोड़ा. उनके बिजनेस का सालाना टर्नओवर 80 लाख रुपये से अधिक है. उनके साथ पांच जिलों को 1000 से अधिक किसान जुड़े हैं और 10 लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं.

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