किसानों के लिए खुला कमाई का रास्ता, अब बीज उत्पादन से बढ़ेगा मुनाफा, सरकार देगी सब्सिडी
Seed Production Programme: बीज उत्पादक बनने के लिए किसानों को आधार बीज दिया जाएगा. गेहूं के बीज के साथ-साथ किसान अरहर, मडुआ, बाजरा, ज्वार, कोदो, चीना और सांवा का बीज उत्पादक बन सकते हैं.
Seed Production Programme: फसल का उत्पादन करके तो सभी किसान कमाई करते हैं, लेकिन बीज का उत्पादन कर किसान अपनी कमाई और बढ़ा सकते हैं. बिहार के किसान बिहार राज्य बीज निगम के बीज प्रोडक्शन प्रोग्राम से जुड़कर आर्थिक रूप से और भी समृद्ध हो सकते हैं. बीज प्रोडक्शन प्रोग्राम (Seed Production Programme) से जुड़ने के लिए किसानों को ऑनलाइन बिहार राज्य बीज निगम की वेबसाइट पर आवेदन करना होगा. आवेदन के बाद किसानों को बिहार राज्य बीज निगम के क्षेत्रीय कार्यालय कुदरा (कैमूर), शेरघाटी (गया), हाजीपुर (वैशाली), बेगूसराय और भागलपुर के कार्यालय के प्रबंधक से संपर्क कर आधार बीज लेना होगा.
किसानों को मिलेगा आधार बीज
बीज उत्पादक बनने के लिए किसानों को आधार बीज दिया जाएगा. गेहूं के बीज के साथ-साथ किसान अरहर, मडुआ, बाजरा, ज्वार, कोदो, चीना और सांवा का बीज उत्पादक बन सकते हैं. बता दें कि 2833 किसान बीज बिहार राज्य बीज निगम के बीज प्रोडक्शन प्रोग्राम से जुड़कर बीज का उत्पादन कर रहे हैं. मोटे अनाज के बीज उत्पादन पर किसानों को 3,000 रुपये प्रति क्विंटल अनुदान भी दिया जा रहा है.
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प्रोसेसिंग में होगी बीज की साफ सफाई
बीज की जांच के बाद बीज की प्रोसेसिंग बसोका (बिहार राज्य बीज और जैविक प्रमाणीकरण एजेंसी) की देखरेख में की जाएगी. जहां बीज की साफ-सफाई होगी और एक साइज के बीज को अलग किया जाएगा. प्रोसेस किए गए बीज पर किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर 20% भुगतान किया जाएगा. प्रोसेस के बाद अंडर साइज बीज किसानों को वापस दे दिए जाएंगे. एक साइज वाले बीज को निगम अपने पास रख लेगा. फसल लगने से लेकर कटने तक बसोका के इंस्पेक्टर अलग-अलग अवस्थाओं में फसल निरीक्षण के लिए आएंगे. बीज की प्रति बोरी के लिए किसानों को 25 रुपये दिए जाएंगे. किसानों को अपने खेत से संग्रहण केंद्र तक बीज पहुंचाना होगा.
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375 रुपये लगेगा क्षेत्र निरीक्षण शुल्क
प्रति हेक्टेयर किसानों को 375 रुपये निरीक्षण शुल्क देना होगा. साथ ही 25 रुपये निबंधन शुल्क देना होगा. बीज प्रोडक्शन प्रोग्राम के लिए कम से कम एक गांव में 10 हेक्टेयर खेती में बीज प्रोडक्शन प्रोग्राम की शुरुआत करनी होगी. उपज होने के बाद बीज के अंकुरण की जांच राजकीय बीज विश्लेषण प्रयोगशाला में की जाएगी. इसके बाद किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य के आधार पर पहला भुगतान किया जाएगा.