Wheat Crop: गेहूं की फसल (Wheat Crop) के लिए तो कई कीट और रोग घातक हैं, लेकिन जड़ माहू कीट इसे बहुत नुकसान पहुंचाते हैं. किसान इन कीटों की पहचान नहीं कर पाते और जब तक पहचान पाते हैं, तब तक बहुत नुकसान हो चुका होता है. ऐसे में बिहार कृषि विभाग ने गेहूं की फसल में लगने वाले जड़ माहू कीट (Root Aphids) बचाव के उपाय किसानों को सुझाए गए है.

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कृषि विभाग द्वारा किसानों को जानकारी दी गई है कि मौसम में बदलाव के कारण गेहूं की फसल में जड़ माहू कीट का प्रकोप होने की संभावना मौसम में बदलाव के दौरान हो सकती है. उन्होंने किसानों से अपील की अपने अपने खेत की निगरानी करें.

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जड़ माहू प्रकोप के लक्षण

यह कीट गेहूं फसल में पौधों की जड़ों से रस चूसता है जिसके कारण पौधा पीला पड़ने लगता है और धीरे-धीरे सूखने लगता है. शुरुआत में खेतों में जगह-जगह पीले पड़े हुए पौधे दिखाई देते है, बाद में पूरा खेत सूखने की संभावना रहती है.

जड़ माहू कीट की पहचान

यह कीट हल्के पीले रंग से गहरे हरे रंग का होता है जो जड़ों का रस चूसता हुआ दिखाई पड़ता है. गेहूं के पौधों को जड़ से उखाड़ने पर ध्यानपूर्वक देखने से यह कीट आसानी से दिखाई देता है.

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जड़ माहू कीट प्रबंधन

इस कीट के प्रबंधन हेतु क्लोरोपायरीफॉस 20 प्रतिशत ई.सी. 1 से 2 लीटर प्रति हेक्टेयर या फिप्रोनिल 0.3% जीआर 15-20 किलोग्राम हेक्टेयर यूरिया या बालू मिट्टी में मिलाकर सिंचाई से पहले खेत में दें. या इमीडाक्लोप्रिड 17.8 एसएल 200-250 एमएल हैक्टेयर या थायोमिथाक्जॉम 25% डब्ल्यूजी 100 ग्राम हैक्टेयर या क्लोरोपायरिफोस 20% ईसी 1 से 2 लीटर प्रति हैक्टेयर पानी में घोल बनाकर पूरे खेत में अच्छी तरह से छिड़काव करें. यह दवाएं सिस्टेमिक प्रकार की होती है जिनसे पूरा पौधा जहरीला हो जाता है और जब कीट रस चूसता है तो वह मर जाता है.

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