Basmati Rice Exports: केंद्र सरकार बढ़ती कीमतों को  नियंत्रित करने और घरेलू खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए चावल के निर्यात को प्रतिबंधित करने के लिए अलग-अलग उपाय कर रही. इसी कड़ी में, सरकार ने अब एक और बड़ा कदम उठाया है. सरकार ने लूज बासमती चावल (Basmati Rice) के रूप में गैर-बासमती सफेद चावल (Non-Basmati white rice) के निर्यात को रोकने की पहल की है. इस फैसले से 1200 डॉलर प्रति टन से कम कीमत पर अनुबंधित सभी बासमती चावल के निर्यात को अस्थायी रूप से रोक दिया जाएगा. 

प्रतिबंध के बावजूद 15.06% बढ़ा चावल का एक्सपोर्ट

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आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने 20 जुलाई को गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था. यह देखा गया है कि निर्धारित किस्मों पर प्रतिबंध के बावजूद इस वर्ष चावल का निर्यात अधिक रहा है. 17 अगस्त 2023 तक चावल का कुल निर्यात (टूटे हुए चावल को छोड़कर, जिसका निर्यात बैन है) पिछले वर्ष की इसी अवधि के 6.37 एमएमटी की तुलना में 7.33 एमएमटी रहा और इसमें 15.06% की बढ़ोतरी दर्ज की गई.

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उबले हुए चावल और बासमती चावल के निर्यात में भी तेजी देखी गई है. इन दोनों किस्मों के निर्यात पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया था. उबले हुए चावल (Parboiled Rice) के निर्यात में 21.18% (पिछले वर्ष के दौरान 2.72 एमएमटी की तुलना में चालू वर्ष के दौरान 3.29 एमएमटी) बढ़ा है, वहीं बासमती चावल (Basmati Rice) के निर्यात में 9.35% की बढ़ोतरी हुई है (पिछले वर्ष के दौरान 1.70 एमएमटी की तुलना में चालू वर्ष के दौरान 1.86 एमएमटी).

गैर-बासमती सफेद चावल (Non-Basmati White Rice) का निर्यात, जिसमें 9 सितंबर,2022 से 20% निर्यात शुल्क लगाया गया था और 20 जुलाई,2023 से बैन कर दिया गया है, में भी 4.36% (पिछले वर्ष के दौरान 1.89 एमएमटी की तुलना में 1.97 एमएमटी) की बढ़ोतरी दर्ज की गई है.

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दूसरी ओर, कृषि और किसान कल्याण विभाग के तीसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार, रबी सत्र 2022-23 के दौरान उत्पादन 158.95 एलएमटी रहा, जबकि 2021-22 के रबी सत्र के दौरान यह 184.71 एलएमटी था, और इसमें 13.84% की गिरावट दर्ज की गई.

क्यों बढ़ रही है चावल की कीमतें?

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, एशियाई देशों से खरीदारों की मजबूत मांग, थाईलैंड जैसे कुछ प्रमुख उत्पादक देशों में 2022-23 में दर्ज उत्पादन व्यवधान और अल नीनो (El Nino) की शुरुआत के संभावित प्रतिकूल प्रभाव की आशंका के कारण, अंतर्राष्ट्रीय बाजार में चावल की कीमतें पिछले साल से लगातार बढ़ रही हैं. एफएओ चावल मूल्य सूचकांक जुलाई 2023 में 129.7 अंक तक पहुंच गया, यह सितंबर 2011 के बाद से उच्चतम स्तर था. गत वर्ष के स्तर के मुकाबले इसमें 19.7% की बढ़ोतरी दर्ज की गई. भारतीय चावल की कीमतों के अभी भी अंतरराष्ट्रीय कीमतों से कम होने के कारण भारतीय चावल की मजबूत मांग रही है, जिसके परिणामस्वरूप 2021-22 और 2022-23 के दौरान इसका रिकॉर्ड निर्यात हुआ है.

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सरकार को गैर-बासमती सफेद चावल (Non-Basmati White Rice) के गलत वर्गीकरण और अवैध निर्यात के संबंध में विश्वसनीय जमीनी रिपोर्टें प्राप्त हुई हैं, जिनके निर्यात पर 20 जुलाई, 2023 से रोक लगा दी गई है. गैर-बासमती सफेद चावल का निर्यात उबला हुआ चावल और बासमती चावल के एचएस कोड के तहत करने की जानकारी मिली है.

बासमती चावल के नाम पर नहीं होगा गैर-बासमती सफेद चावल का निर्यात

सरकार ने बासमती चावल के नाम पर सफेद गैर-बासमती चावल के संभावित अवैध निर्यात को रोकने के लिए अधिक उपाय शुरू किया है. केवल 1200 डॉलर प्रति मीट्रिक टन और उससे अधिक मूल्य के बासमती निर्यात के लिए अनुबंधों को RCAC जारी करने के लिए रजिस्टर्ड किया जाना चाहिए.

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