Regenerative Farming: डेवलपमेंट एजेंसी आईडीएच के चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर (ग्लोबल) डैन वेन्सिंग ने कहा कि रीजनरेटिव फार्मिंग (Regenerative Farming), मिट्टी के कटाव को रोकने के लिए कवर फसलें (Cover Crops) उगाने और पोषक तत्वों को वापस मिट्टी में पहुंचाने से न केवल किसानों को आर्थिक रूप से मदद मिलेगी, बल्कि पराली जलाने (Stubble Buring) के मामलों में भी कमी आएगी.

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

कृषि में ‘कवर’ फसलें वे पौधे हैं जो कटाई के उद्देश्य से नहीं बल्कि मिट्टी को ढकने के लिए लगाए जाते हैं ताकि हवा से भूमि का क्षरण (Soil Erosion) न हो. हालांकि, उन्होंने कहा कि इन मुद्दों के दीर्घकालिक समाधान के लिए सार्वजनिक और निजी भागीदारी जरूरी होगी.

कैसे करते हैं रीजनरेटिव फार्मिंग?

वेन्सिंग ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा,  महत्वपूर्ण सवाल यह है कि आप रीजनरेटिव फार्मिंग कैसे कर सकते हैं? कृषि क्षेत्र का विस्तार किए बिना आप पैदावार कैसे बढ़ा सकते हैं? उन्होंने कहा, इसके लिए नई टेक्नोलॉजी, नए समाधान की जरूरत है. हम इन नए समाधानों पर काम करने और अलग-अलग परिदृश्यों में उनका परीक्षण करने के लिए सार्वजनिक व निजी कंपनियों के साथ साझेदारी कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें- PM Kisan 17th Installment: किसान 31 मार्च तक निपटा लें ये काम, वरना नहीं मिलेगा 17वीं किस्त का पैसा

नई टेक्नोलॉजीज को अपनाने की वकालत

वेन्सिंग ने कहा, हमें अलग-अलग प्रक्रियाओं के जरिए पराली को बाहर निकालने, पोषक तत्वों को वापस मिट्टी में पहुंचाने के तरीके खोजने की जरूरत है. उन्होंने उर्वरता बनाए रखने के लिए मिट्टी में कार्बनिक कार्बन सामग्री को बढ़ाने के लिए नई टेक्नोलॉजीज को अपनाने की वकालत की. वेन्सिंग ने कहा कि पराली जलाने (जो उत्सर्जन का कारण बनता है) के बजाय … मिट्टी की उर्वरता में सुधार के लिए नए तरीकों को लागू करने से पैदावार बढ़ाने और CO2 उत्सर्जन को कम करने के दोहरे उद्देश्य की पूर्ति होगी.

किसानों को नहीं मिल रहा फसल का उचित दाम

सीईओ ने कहा कि दुनिया भर में किसानों के विरोध प्रदर्शनों की संख्या में बढ़ोतरी मुख्यतः इसलिए है क्योंकि उन्हें उचित दाम नहीं मिल रहा है. उन्होंने कहा, यहां तक कि मेरे गृह देश (नीदरलैंड) में भी किसानों ने विरोध प्रदर्शन किया. इसकी मुख्य वजह देश से परे यह है कि किसान वैल्यू चेन के अंतिम छोर पर है.

वेन्सिंग ने कहा, एक समाज के तौर पर हम जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता के नुकसान के कारण पर्यावरण स्थिरता चाहते हैं. इसकी जिम्मेदारी अक्सर पूरी तरह से किसानों पर आ जाती है. अगर हम बदलाव के इस दौर में उनका समर्थन नहीं करते हैं और यदि हम सारा जोखिम तथा लागत किसान पर डालते हैं, तो उनके पास कोई रास्ता नहीं रह जाएगा.

ये भी पढ़ें- मल्टीबैगर Power Stock के लिए गुड न्यूज, कंपनी को मिला बड़ा ऑर्डर, 1 साल में 165% का तगड़ा रिटर्न

प्राकृतिक खेती के तरीकों को अपनाने की जरूरत

आईडीएच इंडिया के ‘कंट्री डायरेक्टर’ जगजीत सिंह कंडल ने कहा कि देश के कई हिस्सों में मिट्टी में जैविक कार्बन की मात्रा घटकर एक प्रतिशत से नीचे आ रही है. उन्होंने कहा, यह अधिक उपज वाली फसलें उगाने के लिए अनुकूल नहीं होगा. हमें रासायनिक उर्वरकों का उपयोग कम करने और प्राकृतिक खेती (Natural Farming) के तरीकों पर वापस जाने की जरूरत है जहां हम कचरे को खाद में बदल देते हैं.

किसानों की आय दोगुनी करने के लिए ये दो चीजें जरूरत

किसानों की आय दोगुनी करने पर ध्यान देने के लिए केंद्र सरकार की सराहना करते हुए कंडल ने कहा, किसानों को दो चीजों की जरूरत है- एक सुनिश्चित बाजार और उनकी उपज के लिए एक सुनिश्चित कीमत. हमें प्रयास करना चाहिए और उन्हें ये प्रदान करना चाहिए. नीदरलैंड स्थित आईडीएच कृषि वैल्यू चेन पर काम करता है. महाद्वीपों के कई देशों में यह मौजूद है. भारत में, यह 10 राज्यों में काम कर रहा है और पहले से ही सरकारों के साथ-साथ निजी क्षेत्र के साथ भी साझेदारी कर चुका है.