Success Story: बिहार के पश्चिम चम्पारण का युवा किसान आज वहां के लोगों के लिए एक मिसाल बन चुका है. यह युवा किसान उद्यान विभाग की सहायता से पपीता की खेती (Papaya Farming) जैविक तरीके से कर लाखों में कमाई कर रहा है. उसका कहना है कि पपीता की खेती केला से ज्यादा मुनाफा देता है. आइए जानते हैं इस युवा किसान की सफलता की कहानी.

कैसा आया पपीता की खेती का आइडिया?

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पश्चिम चम्पारण जिला के मधुबनी प्रखंड के रहने वाले मनिंदर कुशवाहा एक युवा किसान हैं. उसने बिहार सरकार उद्यान विभाग से पपीता के पौधे लेकर पपीता की खेती शुरू की. पपीता से पहले मनिंदर केला की खेती (Banana Farming) कर रहे थे. इसके बाद उनको लगा की पपीता की भी खेती करना फायदेमंद साबित हो सकता है.

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अभी तक 3 लाख रुपये की बिक्री

उन्होंने बताया कि पहले लोगों का कहना था कि पपीता में कोई मुनाफा नहीं है. हमने कहा कि हम आप लोगों को पपीता की खेती में मुनाफा दिखाकर दिखाएंगे. उन्होंने 2 एकड़ में पपीता के पौधे लगाए हैं. इस समय तक वो 3 लाख रुपये तक की बिक्री कर चुके हैं. अभी पौधे में फल लगे हुए हैं.

उनका कहना है कि पपीता की खेती में लागत बहुत ही कम है. आप केवल गोबर की खाद से ही पपीता का बेहतर उत्पादन कर सकते हैं. उन्होंने उद्यान विभाग से पपीता के 1000 पौधे लेकर लगाए थे. उसमें से 900 पौधे अभी जीवित हैं. इन पौधों से वो अभी तक 55 क्विंटल उत्पादन ले चुके हैं. एक किलो पपीता का भाव 25 से 28 रुपये के बीच है. मनिंदर ने किसानों को सलाह दी है कि वो पपीता की खेती (Papaya Cultivation) क्योंकि इसमें केला से भी बेहतर कमाई है.

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