अच्छी बारिश की वजह से इस बार धान की खेती का रकबा बढ़ा है. बारिश का फायदा उठाकर बहुत सारे किसानों ने धान की बुआई (Paddy Farming) की है. भारत जैसे कृषि (Agriculture) प्रधान देश में आज भी बहुत बड़ी आबादी खेती के लिए बारिश (Monsoon) पर निर्भर है. पिछले दिनों जहां भारी बारिश की वजह से कई जगह बाढ़ जैसे हालात बन गए, वहीं बहुत से किसानों को बारिश से राहत भी मिली है. 

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

28 जुलाई तक 2.37 करोड़ हेक्टेयर में धान की खेती हुई है. अगर पिछले साल से इसकी तुलना की जाए तो यह लगभग 2 फीसदी अधिक है. जून में बारिश कम हुई थी, जिसकी वजह से धान की बुआई में कई किसान पिछड़ गए थे. भारत के अलग-अलग स्थानों पर जून से लेकर अगस्त तक धान की बुआई होती है. 

जहां किसान पानी के लिए बारिश पर निर्भर नहीं हैं, वहां पर धान की खेती जून से ही शुरू हो जाती है. ऐसे किसान पानी की जरूरत ट्यूबवेल से पूरी कर लेते हैं. वहीं जहां पर ट्यूबवेल की सुविधा नहीं होती है वहां के किसान बारिश का इंतजार करते हैं और उसके बाद धान की बुआई करते हैं. बता दें कि धान की बुआई खेत में कीचड़ बनाकर उसमें की जाती है.

धान के साथ-साथ तिलहन की बुआई में भी बढ़त देखने को मिल रही है. तिलहन की बुआई 2.5 फीसदी बढ़ी है और 1.71 करोड़ हेक्टेयर पर पहुंच गई है. साथ ही मक्के के खेती भी 69 लाख हेक्टेयर हो गई है, जो पिछले साल के बराबर है.