MP सरकार ने 'स्टेट मिलेट मिशन' को दी मंजूरी, किसानों को मिलेगी सब्सिडी और ट्रेनिंग
MP State Millet Mission: राज्य मिलेट मिशन में किसानों को सहकारी संस्थानों द्वारा मोटे अनाज के बीच 80% सब्सिडी दी जाएगी, जिससे किसान ज्यादा से ज्यादा मोटे अनाज का उत्पादन करें. किसानों को इसके उत्पादन के लिए अलग-अलग स्तर पर प्रशिक्षण दिया जाएगा.
MP State Millet Mission: आज भारत दुनिया को मोटा अनाज के लाभ बताने-समझाने में अहम भूमिका निभा रहा है. इस बार के बजट भाषण में वित्त मंत्री (Finance Minister) निर्मला सीतारमण ने मिलेट्स (Millets) यानी मोटे अनाज को 'श्री अन्न' नाम दिया. मोटे अनाज को लोकप्रिय बनाने के लिए केंद्र सरकार लगातार प्रयास कर रही है. चाहे फूड फेस्टिवल हो या कॉन्क्लेव सभी में मोटे अनाज से बने व्यंजनों को प्रमुखता से परोसा जा रहा है. देश में किसी भी लक्ष्य को पाने के लिए जितनी भूमिका केंद्र सरकार की होती है उतनी ही भूमिका राज्य सरकारों की भी होती है. इसी कड़ी में मोटे अनाज को बढ़ावा देने के लिए आज मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य मिलेट मिशन (State Millet Mission Scheme) को मंजूरी दे दी है.
दो साल का होगा राज्य मिलेट मिशन
साल 2023 को अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष (International Year of Millets- IYM) के रूप में मनाया जा रहा है. इसके माध्यम से ‘मिरेकल मिलेट्स’ की भूली हुई महिमा को पुनर्जीवित करने का प्रयास किया जा रहा है. इसी कड़ी मे अब मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य मिलेट्स मिशन की घोषणा की है. इस मिशन के अंतर्गत मोटे अनाज के प्रचार प्रसार उसके उत्पादन और उसके उपयोग इन तीनों आयामों पर काम किया जाएगा. इस मिशन की अवधि 2025 तक दो साल के लिए रहेगी.
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किसानों को किया जाएगा प्रोत्साहित
राज्य मिलेट मिशन में किसानों को सहकारी संस्थानों द्वारा मोटे अनाज के बीच 80% सब्सिडी दी जाएगी, जिससे किसान ज्यादा से ज्यादा मोटे अनाज का उत्पादन करें. किसानों को इसके उत्पादन के लिए अलग-अलग स्तर पर प्रशिक्षण दिया जाएगा. मोटे अनाज के वैल्यू एडिशन के लिए सरकार अलग से जन जागरण अभियान चलाएगी और यह सुनिश्चित करेगी कि जो किसान मोटे अनाज का उत्पादन करते हैं। उन्हें बड़े स्तर पर उसका आर्थिक लाभ मिल सके.
शासकीय कार्यक्रम के मेनू से मिड डे मील तक
राज्य सरकार मोटे अनाज की ज्यादा से ज्यादा लोगों में लोकप्रियता हो इसके लिए मुख्यमंत्री चौहान ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि शासकीय कार्यक्रम में होने वाले भोज में मोटे अनाज से बने व्यंजन को अनिवार्य रूप से शामिल किया जाए. मिड डे मील और छात्रावासों में भी मोटे अनाज का उपयोग सुनिश्चित किया जाए.
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मोटा अनाज क्या है?
सिंधु घाटी सभ्यता के दौरान श्री अन्न की खपत को लेकर कई साक्ष्य बताते हैं कि यह भारत में पैदा की जाने वाली पहली फसलों में से एक थी. इसे गरीबों का अनाज भी कहा जाता है. मिलेट्स सेहत के लिए भी काफी अच्छा होता है. मिलेट्स सिर्फ प्रोटीन और फाइबर ही नहीं देते बल्कि, खाने वाले को शरीर में उत्पन्न हो रहे रोगों का निदान भी करते हैं. मोटे अनाज में ज्वार, बाजरा, रागी, सांवा या सामा, कंगनी, कोदो, कुटकी और कुट्टू शामिल है.
क्यों सरकार दे रही है मोटे अनाज पर जोर?
इन दिनों केंद्र सरकार हो या राज्य सरकार दोनों ही मोटे अनाज के उत्पादन और उपभोग पर जोर दे रही हैं. दरअसल मोटे अनाज में पोषक तत्व ज्यादा होते हैं. इसके साथ ही बीटा-कैरोटीन, नाइयासिन, विटामिन-बी6, फोलिक एसिड, पोटैशियम, मैग्नीशियम, जस्ता आदि से ये अनाज भरपूर होते हैं. इसमें फाइबर यानी रेशा मौजूद होता है जिससे पाचन दुरुस्त होता है. इस तरह इसको खाने वाले को कब्ज की समस्या नहीं होती. इनका सेवन करने से हड्डियों को मजबूती मिलती है. मोटा अनाज डायबिटीज तथा दिल के रोगियों के लिए भी उत्तम माना जाता है. इन्हीं सब कारणों से मोटे अनाज को सुपरफूड भी कहा जाता है.
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(Input- PBNS)