मक्का के महत्व पर कृषि वैज्ञानिकों ने किया मंथन, किसानों और पर्यावरण के लिए बहुत काम की है यह फसल
Maize Cultivation: मक्का (Maize) एक ऐसी फसल है जो खाद्य सुरक्षा, पशुओं के आहार और ऊर्जा सुरक्षा के साथ-साथ पर्यावरण की सुरक्षा भी कर सकती है. क्योंकि इसमें पानी की खपत बहुत कम होती है.
Maize Cultivation: क्लाइमेट चेंज की चुनौतियों के बीच घटता भू-जल स्तर खेती के लिए बड़ी चिंता का का सबब बना हुआ है. मक्का (Maize) एक ऐसी फसल है जो खाद्य सुरक्षा, पशुओं के आहार और ऊर्जा सुरक्षा के साथ-साथ पर्यावरण की सुरक्षा भी कर सकती है. क्योंकि इसमें पानी की खपत बहुत कम होती है. इसलिए भूजल संकट के समाधान के लिए मक्का की खेती को प्रोत्साहित किया जा सकता है. इस संदर्भ में, मक्का टेक्नोलॉजिस्ट एसोसिएशन ऑफ इंडिया (MTAI), आईसीएआर-भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान और पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के सहयोग से 23-25 अगस्त, 2024 को लुधियाना में मक्का पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया. यह सम्मेलन ऊर्जा सुरक्षा, साएलेज और डेयरी क्षेत्र के विभिन्न मुद्दों पर मक्का की भागीदारी को अलग-अलग हितधारकों की चर्चा करने के लिए चुना गया है. कुलपति डॉ. एस.एस. गोसल पीएयू, लुधियाना कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे और डॉ. एस.के. वासल विश्व खाद्य पुरस्कार विजेता विशिष्ट अतिथि थे. कार्यक्रम में भाग लेने वाले गणमान्य वैज्ञानिकों मे डॉ. ए.के. जोशी, प्रबंध निदेशक, बीसा मौजूद रहे.
ड्रिप सिंचाई जल स्तर को बनाए रखने में सहायक
डॉ. एस.एस. गोसल ने कहा कि मक्के के लिए ड्रिप सिंचाई (Drip Irrigation) जल स्तर को बनाए रखने में सहायक हो सकती है. मक्के को अनाज की रानी बनाने में निजी क्षेत्रों की भूमिका को भुलाया नहीं जा सकता. त्वरित समाधान योग्य समस्याओं के लिए सरल प्रौद्योगिकी को अपनाना ही समय की मांग है. साथ ही, भोजन, चारा और ईंधन जैसे सभी जरूरी क्षेत्रों में भविष्य की मांगों को पूरा करने के लिए बहु-हितधारक दृष्टिकोण जरूरी है. किसानों के लिए खेत पर प्रौद्योगिकी और उद्योगों के लिए मक्के (Maize) में मजबूत मूल्य श्रृंखला की कमी है, इसलिए शोधकर्ताओं को इन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए.
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मिट्टी और पौधों के स्वास्थ्य की देखभाल करने पर जोर
डॉ. साईं दास अध्यक्ष, एमटीएआई और पूर्व निदेशक, आईआईएमआर ने मक्का शोधकर्ताओं, किसानों और उद्योग के लोगों की उनके निरंतर काम के लिए सराहना की, लेकिन मिट्टी और पौधों के स्वास्थ्य की देखभाल करने पर जोर दिया. डॉ. एच.एस. जाट निदेशक, आईसीएआर- भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान, लुधियाना ने मक्के की बेहतरी के लिए एकल क्रॉस संकर, कृषि मशीनीकरण और फसल प्रबंधन प्रथाओं के उपयोग पर जोर दिया है. मक्का अपने विविध एवं लाभकारी उद्देश्यों से भारतीय किसानों की आय बढ़ाने में सक्षम है.
डॉ. जोशी ने भोजन, चारा और ईंधन के सभी क्षेत्रों में स्थिरता बनाए रखने के लिए एकीकृत और समग्र दृष्टिकोण के बारे में बात की. डॉ. वासल ने अनुसंधान में निरंतर प्रगति के लिए उपलब्ध संसाधनों का प्रबंधन करने और दूसरों के कौशल में सुधार के लिए वैज्ञानिक बिरादरी में अनुभव और विचारों को साझा करने का सुझाव दिया. उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन से झुझने के लिए, बायो-एथेनॉल ब्लेंडिंग में वृद्धिशील परिवर्तन से लंबे समय में मदद मिलेगी.
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400 से ज्यादा प्रतिभागियों ने भाग लिया
निजी उद्यमों के स्टालों ने मक्का की खेती में अपनी प्रौद्योगिकियों, मशीनरी और उत्पादों का प्रदर्शन किया. इस सम्मेलन में वैज्ञानिकों, छात्रों, किसानों, उद्यमियों, बीज/कृषि रसायन कंपनियों के प्रतिनिधियों सहित कुल 400 से ज्यादा प्रतिभागियों ने भाग लिया.