बिहार में मानसून की चाल कमजोर पड़ी है. कम बारिश के कारण किसानों ने धान के विकल्पों की तलाश शुरू कर दी है. वहीं सरकार ने वैकल्पिक फसलों की योजना बनानी शुरू कर दी है. इसमें 15 फसलों को रखा गया है. सूखा प्रभावित घोषित होने के बाद इन फसलों के बीज किसानों (Farmers) के फ्री दिए जाएंगे.

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आकस्मिक फसल योजना के तहत सभी जिलों में फसलों की मांग के हिसाब से बीज उपलब्ध कराए जाएंगे. सुखाड़ प्रभावित वैसी पंचायतों के किसानों को बीज दिए जाएंगे, जहां किसान इसकी खेती के इच्छुक होंगे. बिहार बीज निगम लिमिटेड की ओर से इसका वितरण किया जाना है. किसानों के चयन में छोटे किसान और महिलाओं को प्राथमिकता दी जानी है. कृषि विभाग ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है. 

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10 अगस्त तक चलेगी रोपनी

बिहार में 29 जून के बाद मानसून की बारिश हुई थी. दक्षिण बिहार में ज्यादातर किसानों ने इसके बाद बिचड़ा लगाया है. आमतौर पर बिचड़ा 25 दिनों में तैयार हो जाता है. कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि 40 दिनों के बिचड़ा तक ज्यादा परेशानी नहीं होती है. इसलिए कृषि वैज्ञानिकों को 10 से 15 अगस्त तक रोपनी जारी रहने की उम्मीद है. हालांकि यह सब आगे की बारिश पर निर्भर करेगा. राज्य में अब सिर्फ 43 फीसदी रोपनी हो पाई है.

धान की खेती पिछड़ने के बाद कृषि वैज्ञानिक खरीफ में कम अवधि की फसल लगाने की सलाह दे रहे हैं. बिहार कृषि विश्वविद्यालय के मुताबिक, ऐसी फसल लगानी चाहिए कि रबी में देरी न हो. धान की कम अवधि की प्रजाति की खेती भी कर सकते हैं. ऊंची भूमि पर दलहन, तिलहन, औषधीय पौधे, मोटे अनाज की खेती भी ठीक रहेगी.

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मोटा अनाज बढ़िया विकल्प

ज्वार, बाजरा, तोरिया, मक्का, उड़द व कुल्थी अच्छा विकल्प है. कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक, बाजरा और मडुआ अच्छा विकल्प हो सकता है. इन दोनों फसलों को अगस्त में लगा सकते हैं. सामान्य तौर पर सितंबर में लगने वाले तोरिया का विकल्प ठीक है. इसकी फसल 90 दिनों में तैयार हो जाती है. सरकार ने आकस्मिक फसल योजना के तहत सबसे ज्यादा इसी के 9000 क्विटंल बीज बांटने का लक्ष्य तय किया है. मोटे अनाजों में इसके अलावा सांबा, चीना और कोदो लगा सकते हैं. खरीफ दलहन फसलें भी किसान लगा सकते हैं.

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