Success Story: कहते हैं किसी हाई पोजिशन पर पहुंचना ही हर किसान (Farmer) इंसान का लक्ष्य नहीं होता. बल्कि अपने पैत्रिक कारोबार को संभालकर, उसमें एक अलग पहचान बनाकर जो संतुष्टि मिलती है, शायद उसका तोड़ ही नहीं. ऐसी ही है हरियाणा के पानीपत जिले के समालखा के किसान डॉ जयपाल तंवर की कहानी, जो एक नामी महाविद्यालय में बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर एक अच्छी-खासी आमदनी वाले नौकरी कर रहे थे. जयपाल असिस्टेंट प्रोफेसर की नौकरी छोड़ अब किसान बन गए हैं. उनका कहना है कि हर कोई अपने मां-बाप के प्रोफेशंस को चुना है लेकिन किसान का बेटा किसान नहीं बनना चाहता. इन सारी चीजों को सोचते हुए साल 2014 में उन्होंने नौकरी छोड़ी और खेती करनी शुरू की.

पपीते से 5 से 7 लाख रुपये का मुनाफा

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हरियाणा बागवानी विभाग के मुताबिक, नौकरी छोड़ने के बाद जयपाल तंवर ने पपीते की खेती (Papaya Farming) शुरू की. जयपाल के मुताबिक, वो एक एकड़ पपीते की खेती से करीब 5 से 7 लाख रुपये की कमाई कर लेते हैं. इसके अलावा वो पॉलीहाउस (Poly House) में लाल और पीला शिमला मिर्च की खेती करते हैं. उन्होंने अपनी एक कंपनी भी बनाई, जिसका नाम जय श्री ग्रीन वे फार्म रखा.

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डॉ जयपाल तंवर ने जिस दिन अपनी नौकरी को छोड़कर अपने पैत्रिक कारोबार यानी किसानी के धंधे को अपनाने का फैसला किया, उस दिन उनके अपने परिवार में बहुत बहस हुई. लेकिन जयपाल ने अपने फैसले को नहीं बदला और अपनी लगन, पेशेवर ज्ञान, योग्यता और कड़ी मेहनत से अपने परिवार ही नहीं, पूरे प्रदेश को दिखा दिया कि कोई भी इंसान अपने लक्ष्य को प्राप्त ही नहीं कर सकता, साथ ही दुनिया के लिए एक मिसाल भी बन सकता है.

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किसानों को दी ये सलाह

उनका कहना है कि आम किसान मंडियों में दूसरे लोगों की वैल्युएशन करते हैं, जबकि वह अपने प्रोडक्ट की वैल्युएशन अपने हाथों से करते हैं. उन्होंने कहा, आपको अपनी कमजोरी, ताकत और अवसर का पता होना चाहिए. लैब टू फील्ड और फील्ड टू मार्केट. किसानों को पता होना चाहिए कि उनका प्रोडक्ट कैसे बिकेगा और किस तरीके से बिकेगा. उनकी उपज बिग बास्केट, मदर डेयरी जैसे कंपनियां के पास जाता है.

जयपाल कहते हैं कि हरियाणा सरकार ने किसानों के लिए कई योजनाएं चलाई हैं. राज्य सरकार लो टनल बनाने पर 15 रुपये प्रति वर्गफुट के हिसाब से सब्सिडी देती है.  बांस की खेती पर सब्सिडी, ड्रीप एरीगेशन पर 85% तक सब्सिडी मिलती है.

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