Lavender Farming: जम्मू कश्मीर के पुलवामा जिले में अपनी बेहतरीन खुश्बू के लिए मशहूर लैवेंडर (Lavender) किसानों के लिए पसंदीदा फसल बनकर उभरा है. अपने औषधीय गुणों और बेहतर मुनाफे की संभावना के कारण लैवेंडर की खेती श्रीनगर से लगभग 25 किलोमीटर दूर स्थित क्षेत्र में कई किसानों की पसंदीदा हो गयी है. श्रीनगर को कश्मीर में सबसे उपजाऊ क्षेत्र माना जाता है.

अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए अवसर खोले

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श्रीनगर की रहने वालीं कृषि उद्यमी मदीहा तलत ने कहा, हम पहले इसका तेल निकालते हैं और फिर उसका प्रसंस्करण करते हैं। लैवेंडर की खेती में अपार संभावनाएं हैं. लैवेंडर की खेती (Lavender Farming) ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए भी अवसर खोल दिए हैं. 

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तलत ने कहा, हम कच्चे तेल का निर्यात करते हैं. हमारी पारंपरिक फसलों की तुलना में इसका निर्यात बाजार बड़ा है. इसलिए अन्य पारंपरिक फसलों की अपेक्षा यह ज्यादा मुनाफे वाली फसल है. इसे लंबे समय तक रखा जा सकता है और इसके फायदे भी ज्यादा हैं. 

चाय और तेल बनाने का बिजनेस

इसके अलावा, लैवेंडर की पत्तियों को चाय के तौर पर भी इस्तेमाल किया जा सकता है और इनसे तेल बनाकर उसे चिकित्सा और मालिश में भी प्रयोग किया जा सकता है. तलत ने अपना खुद का ब्रांड रूहपोश (Roohposh) शुरू किया है और त्वचा की देखभाल में इस्तेमाल किए जाने वाले अलग-अलग उत्पादों में लैवेंडर के तेल (Lavender Oil) का उपयोग करती हैं. उन्होंने कहा, विदेशों में लैवेंडर की चाय (Lavender Tea) बहुत लोकप्रिय है. शरीर की मालिश के लिए भी कई देशों में इसके तेल का इस्तेमाल किया जाता है. 

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युवाओं और महिलाओं के मिला रोजगार

लैवेंडर की खेती से स्थानीय युवाओं और महिलाओं के लिए रोजगार भी पैदा होते हैं. पिछले तीन साल से लैवेंडर की खेती कर रहीं पुलवामा निवासी सीरत जान ने कहा, हम प्रतिदिन कम-से-कम एक क्विंटल कच्चा माल इकट्ठा कर लगभग 370 रुपये कमाते हैं. यहां 30-35 महिलाएं और कुछ पुरुष भी काम करते हैं. हमारी जीविका इसी से चलती है.

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10 से 15 हजार रुपये किलो बिकता है इसका तेल

लैवेंडर का इस्तेमाल कॉस्टेमेटिक्स, टॉयलेटरीज, फ्रैगरेंस, थिरैप्यूटिक्स में होता है. लैवेंडर का तेल 10,000 रुपये से 15,000 रुपये प्रति किलो बिकता है.

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