Edible Oil Price: आम आदमी को बड़ी राहत, खाने के तेल हुए सस्ते, जानिए नए रेट्स
Edible Oil Prices: समीक्षाधीन हफ्ते से पहले सरसों (Mustard) की मंडियों में आवक 16-16.25 लाख बोरी तक जा पहुंची थी. इसके अलावा हरियाणा और श्रीगंगानगर में सरसों की फसल (Mustard Crop) देर से आती है.
Edible Oil Prices: शादी-विवाह के मौसम और नवरात्र (Navratra) से पहले खाद्य तेलों की बढ़ती मांग और देश में आयातित खाद्य तेलों की कम आपूर्ति रहने के बीच बीते सप्ताह देश के तेल-तिलहन बाजारों में सभी तेल-तिलहनों में सुधार आया. इस दौरान सरसों, मूंगफली, सोयाबीन तेल तिलहन, कच्चा पामतेल (CPO) और पामोलीन और बिनौला तेल तेजी दर्शाते बंद हुए
बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि समीक्षाधीन हफ्ते से पहले सरसों (Mustard) की मंडियों में आवक 16-16.25 लाख बोरी तक जा पहुंची थी. इसके अलावा हरियाणा और श्रीगंगानगर में सरसों की फसल (Mustard Crop) देर से आती है. इसलिए अप्रैल में सरसों की आवक बढ़ने की अपेक्षा की जा रही थी लेकिन आवक बढ़ने के बजाय 9-9.25 लाख बोरी पर स्थिर बनी हुई है.
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MSP पर सरसों की सरकारी खरीद शुरू
इस बीच अधिकांश राज्यों में न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर सरसों की सरकारी खरीद भी शुरू हो गई है. पहले कुछ विशेषज्ञ आने वाले दिनों में सूरजमुखी (Sunflower) और सोयाबीन (Soybean) का आयात बढ़ने की बात कर थे, वे अब चुप हैं. किसान भी समझ गये हैं कि सरसों की फसल का दाम तोड़ने के लिए यह चर्चा फैलायी गई थी.
सूत्रों ने कहा कि देश में पैसे की तत्काल जरूरत रखने वाले छोटे व सीमांत किसान ही अपने माल बेच रहे हैं लेकिन अब बड़े और मजबूत किसान सही दाम के इंतजार में सरसों संभल कर बेच रहे हैं और एमएसपी (MSP) पर सरकारी खरीद बढ़ने का भी इंतजार करते नजर आ रहे हैं. अप्रैल में सरसों की आवक 15-16 बोरी हो जानी चाहिये थी जो 9.9.25 लाख बोरी पर स्थिर बनी हुई है.
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सोयाबीन के दाम MSP से 1-2 फीसदी नीचे
सूत्रों ने कहा कि खाद्य तेलों की आपूर्ति नहीं बढ़ी है लेकिन खुदरा बाजार में सभी खाद्य तेलों की मांग जरूर बढ़ गई है. दूसरी ओर सोयाबीन (Soybean) के किसान परेशान हैं क्योंकि सोयाबीन के दाम एमएसपी से 1-2 फीसदी नीचे बोले जा रहे हैं. किसानों को पहले सोयाबीन के एमएसपी से कहीं काफी बेहतर दाम मिलते रहे हैं और कम दाम पर बिकवाली से बच रहे हैं. उनके पास सोयाबीन तिलहन का काफी स्टॉक बचा हुआ है जो आयातित खाद्य तेलों के थोक दाम सस्ता होने की वजह से खपने में नहीं आ रहा है.
सूत्रों ने कहा कि कपास की आवक 50-52 हजार गांठ रहे गई है. कपास से निकलने वाले बिनौला खल का सबसे अधिक इस्तेमाल मवेशियों के आहार के लिए किया जाता है. गुजरात के कृषि मंत्री राघवजी पटेल ने भी हाल में नकली बिनौला खल की बिक्री को लेकर चिंता जताई है. उन्होंने बताया कि बिनौले में असली दाम किसानों को इसके खल से ही मिलता है. केन्द्र सरकार को अपनी ओर से पहल करते हुए राज्य सरकारों से कहना चाहिए कि वे बिनौले के नकली खल के कारोबार पर सख्ती से रोक लगायें.
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