किसानों के लिए खाद कितनी अहम है, ये तो हर कोई समझता है. अगर ये खाद रासायनिक ना होकर, ऑर्गेनिक यानी जैविक हो तब तो और भी अच्छा है. ऑर्गेनिक खाद में गोबर की खाद, किचन या एग्री वेस्ट से बना कंपोस्ट और वर्मी कंपोस्ट (Vermi Compost) जैसी खाद आती हैं. तमाम किसान वर्मी कंपोस्ट अपने खुद के खेतों में इस्तेमाल करने के लिए तो बनाते ही हैं, कुछ किसान को इसका बिजनेस भी करते हैं. ऐसे भी बहुत से लोग हैं, जो खेती नहीं करते, बल्कि सिर्फ वर्मी कंपोस्ट का बिजनेस (Vermi Compost Business) ही करते हैं. अब सवाल ये है कि आखिर ये वर्मी कंपोस्ट बनता कैसे है और इसमें ऐसा क्या होता है कि लोग इसे अपना बिजनेस तक बना रहे हैं?

पहले जानिए क्या होता है वर्मी कंपोस्ट

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जैसा कि नाम से ही समझ आ रहा है कि इसे केंचुओं को मदद से बनाया जाता है. ये तो आप बचपन से ही सुनते आ रहे होंगे कि केंचुए किसान के मित्र होते हैं. वह जमीन को उपजाऊ बनाने का काम करते हैं. वह नीचे से मिट्टी खाते हैं और उसे फिर ऊपर निकालते हैं, जिससे जमीन उपजाऊ तो होती ही है, मिट्टी में वाटर ड्रेनेज भी शानदार होता है. इन केंचुओं को जब गोबर पर छोड़ा जाता है तो वह ऐसा ही गोबर के साथ करते हैं. कुछ महीनों में वह धीरे-धीरे गोबर को खाद में तब्दील कर देते हैं. इसके बाद उस खाद को छानकर उसमें से केंचुए अलग कर लिए जाते हैं और खाद को पैक कर के बेच दिया जाता है.

क्यों है वर्मी कंपोस्ट की इतनी ज्यादा डिमांड

वर्मी कंपोस्ट की डिमांड कितनी ज्यादा है, इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि सरकार की तरफ से भी इसे खरीदने के टेंडर निकाले जाते हैं. सरकार इस खाद का इस्तेमाल तमाम जगहों पर सौंदर्यीकरण और ग्रीन जोन बनाने में लगाए जाने वाले पौधों-फूलों को पोषण मुहैया कराने में करती है. वर्मी कंपोस्ट पूरी तरह से ऑर्गेनिक होता है, जिससे इसमें उगाई जाने वाली सब्जियों और फलों का शरीर पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता. पिछले कुछ सालों में ऑर्गेनिक खेती काफी बढ़ गई है, क्योंकि अब लोग ऑर्गेनिक फल और सब्जियों की तरफ शिफ्ट हो रहे हैं.

कैसे बनाया जाता है वर्मी कंपोस्ट?

वर्मी कंपोस्ट बनाने के लिए सबसे पहले तो आपको कुछ जगह की जरूरत होगी. आप इसे बंजर खेत या पथरीली जगह पर भी बना सकते हैं. इसके लिए आपको गोबर के कुछ बेड बनाने होंगे. ये बेड 3-4 फुट चौड़े और 1-2 फुट ऊंचे हो सकते हैं. इन बेड की लंबाई चौड़ाई सब आप अपने हिसाब से रख सकते हैं. बस ध्यान ये रखें कि बीच-बीच में आपको इसे मेंटेन करना होगा. साथ ही यह भी ध्यान रखना होगा कि पहले गोबर लाकर गिराने और फिर खाद उठाकर निकालने के लिए ट्रैक्टर-ट्रॉली के आने-जाने की जगह हो. गोबर के बेड बनाने के बाद उस पर आपको केंचुए डालने होंगे, जो गोबर को खा-खा कर उसे खाद में बदल देंगे. बेड के ऊपर पराली आदि बिछाई जाती है, ताकि गोबर में नमी बनी रहे. वहीं बीच-बीच में उस पर पानी का छिड़काव भी किया जाता है, वरना केंचुए मर सकते हैं. करीब 3 महीने में केंचुए गोबर को खाद में बदल देते हैं. यानी साल में आप 3-4 बार आसानी से वर्मी कंपोस्ट बना सकते हैं.

कई किसान बिजनेस कर के कमा रहे लाखों

अगर आप वर्मी कंपोस्ट का बिजनेस करना चाहते हैं तो इसमें आपका दो तरह का खर्चा होगा. पहला है कैपिटल कॉस्ट और दूसरा है रिकरिंग कॉस्ट. कैपिटल कॉस्ट में बेड बनाने का खर्च, शेड का खर्च, मशीनों की लागत और पहली बार केंचुएं खरीदने की लागत शामिल है. वहीं आपको कुछ जगह की जरूरत भी होगी, जो अगर आपके पास नहीं है तो वह भी आपके लिए एक बड़ा कैपिटल कॉस्ट है. अगर 100 वर्ग मीटर में ये बिजनेस करते हैं तो आपको लगभग 1.5 लाख रुपये खर्च करने पड़ेंगे. इसके अलावा गोबर, मजदूर, बेड ढकने के लिए पराली, पैकेजिंग बैग, ट्रांसपोर्टेशन पर भी आपको लगभग 1.5 लाख रुपये खर्च करने पड़ जाएंगे. यानी पहली बार में तो आपको कुल 3 लाख रुपये तक खर्च करने पड़ेंगे, जो अगली बार से कम हो जाएगा. 100 वर्ग मीटर से 30 बेड बनाकर आप करीब 50 टन वर्मी कंपोस्ट हासिल कर सकते हैं. इसे आप थोक में भी बेच सकते हैं और पैकेजिंग करवाकर भी बेच सकते हैं. बाजार में बड़ी पैकेजिंग में वर्मी कंपोस्ट 30-50 रुपये और छोटी पैकिंग में 60-80 रुपये प्रति किलो तक बिकता है. तो आप अंदाजा लगा ही सकते हैं कि इससे कितनी कमाई हो सकती है.