Saffron Cultivation: किसानों की आय बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार फल, फूल और नकदी फसलों की खेती को बढ़ावा दे रही है. इसी कड़ी में, केंद्र सरकार एग्री इनकम में सुधार के लिए राज्य सरकारों के सहयोग से सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश और मेघालय में केसर की खेती (Kesar ki Kheit) बढ़ाने के उपाए कर रही है. केसर (Saffron) एक महंगा मसाला है, जिसकी कीमत न्यूनतम 3.5 लाख रुपये प्रति किलोग्राम है और यह चिकित्सीय गुणों के साथ बायोएक्टिव यौगिकों से समृद्ध है.

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भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के तहत एक स्वायत्त निकाय, नॉर्थ ईस्ट सेंटर फॉर टेक्नोलॉजी एप्लीकेशन एंड रीच (एनईसीटीएआर) ने वर्ष 2020 में प्रायोगिक परियोजना की शुरुआत की थी.

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मिट्टी और जलवायु केसर की खेती के लिए उपयुक्त

एनईसीटीएआर के महानिदेशक अरुण सरमा के मुताबिक, परीक्षण के हिस्से के रूप में सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय और मिजोरम में 64 किसानों को बीज दिए गए और प्रायोगिक परियोजना में केसर के बीज (Saffron Seeds) और फूलों की उपज औसत से ऊपर थी. अधिकारी ने कहा कि केसर की खेती की प्रायोगिक परियोजना में पाया गया कि पूर्वोत्तर के कुछ हिस्सों की मिट्टी और जलवायु केसर की खेती के लिए उपयुक्त हैं.

दुनिया की सबसे कीमती पौधा केसर

केसर दुनिया की सबसे कीमती पौधा है. इसकी खेती भारत में जम्मू के किश्तवाड़ और कश्मीर के पंपोर में ज्यादा की जाती है. इसके फूलों से निकालने वाले केसर की कीमत बाजार में 5 लाख रुपये किलो तक है. केसर की सिर्फ 450 ग्राम बनाने के लिए करीब 75 हजार फूल लगते हैं. इसके भीतर लाल या नारंगी रंग के तीन मादा भाग पाए जाते हैं. इस मादा भाग को स्टिग्मा कहते हैं. यही केसर कहलाता है.

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केसर के फूल निकलने के लिए 12 से 19 डिग्री के आसपास तापमान आदर्श है.  प्याज जैसे इसके कंद अगस्त-सितंबर में रोपी जाती है और दिसंबर से फरवरी तक इसके पत्ते और फूल साथ निकलते हैं. इसका पौधा 15.-25 सेंटीमीटर ऊंचा होता है. इनके बीच से पुष्पदंड निकलता है.